सबरीमाला मामले पर CJI की कड़ी टिप्पणी, मंदिर में पुरुषों की तरह महिलाओं को भी जाने का हक
पश्चिमी घाट इलाके में समुद्र तल से 914 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सबरीमला मंदिर पथानमथिट्टा जिले में मौजूद पम्बा से 4 किमी की ऊंचाई पर है. यह तिरुवनंतपुरम से लगभग 100 किलोमीटर दूर है
नई दिल्ली. केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा आज कड़ी टिप्पणी की है. मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को भी पुरुष की तह जाने का हक है. सुनवाई के दौरान कहा कि मंदिर निजी स्थान नहीं है. इस पर सभी का हक है.
केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. दरअसल इस पाबंदी के पीछे यह तर्क माना जाता है कि इस उम्र में महिलाओं को माहवारी होती है. इस वजह से वे शुद्धता नहीं बनाये रख सकती है. जिसके कारण मंदिर में महिलाओं के जाने पर पाबंदी है. बता दें कि केरल की सरकार ने 7 नवंबर 2016 में न्यायालय को सूचित किया था कि वह पौराणिक सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में है.
सबरीमाला मंदिर
गौरतलब हो कि सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा का एक पौराणिक मंदिर है. 'मकर ज्योति का दर्शन करने के लिए मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में भक्त अयप्पा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां दर्शन करने के लिए एक व्यक्ति को 18 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं, इसके बाद वह गर्भ गृह तक पहुंचता है. एक तीर्थयात्री को दर्शन करने के लिए सीढ़ियों पर चढ़ने से पहले कई घंटों तक इंतजार करना पड़ता है.
बता दें कि पश्चिमी घाट इलाके में समुद्र तल से 914 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सबरीमला मंदिर पथानमथिट्टा जिले में मौजूद पम्बा से 4 किमी की ऊंचाई पर है. यह तिरुवनंतपुरम से लगभग 100 किलोमीटर दूर है. इस मंदिर में पम्बा से केवल पैदल चलकर ही पहुंचा जा सकता है.