इस्लामाबाद, 18 मई : पाकिस्तान (Pakistan) में गंभीर आर्थिक स्थिति को देखते हुए, शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार ने संकट से निपटने का फैसला किया है, भले ही उसे देश को बिगड़ते संकट से बाहर निकालने के प्रयास में अलोकप्रिय और कड़े फैसले ही क्यों न लेने पड़े. इस्लामाबाद स्थित प्रधानमंत्री आवास में अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ हुई शरीफ की एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, शरीफ ने गठबंधन सहयोगियों के प्रमुखों को मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने इस आर्थिक संकट को पिछली इमरान खान सरकार और उनकी विफल वित्तीय नीतियों के कारण पैदा हुआ संकट करार दिया.
बैठक के दौरान विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की गई, जिसमें सदनों को भंग करना और एक कार्यवाहक सरकार लाना शामिल है, जो देश में जल्द चुनाव कराए. इस दौरान इस बात पर भी जोर दिया गया कि पिछली सरकार की विफल वित्तीय नीतियों की जिम्मेदारी और औचित्य वर्तमान गठबंधन सरकार को विरासत में नहीं मिलनी चाहिए, क्योंकि इससे राजनीतिक दलों की राजनीतिक स्थिति को नुकसान होगा. हालांकि, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि इस कदम से देश के गंभीर आर्थिक संकट से कोई राहत नहीं मिलेगी और यह पाकिस्तान को दिवालिया होने की ओर धकेल देगा, जिससे श्रीलंका जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. यह भी चर्चा हुई कि अगर सरकार सदनों को भंग नहीं करना चाहती है, तो देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए अन्य साहसिक और कड़े फैसले लेने होंगे, क्योंकि अर्थव्यवस्था इस समय पूरी तरह चरमराने के कगार पर है. यह भी पढ़ें : बंबई उच्च न्यायालय ने सरोगेसी प्रक्रिया पूरी करने की याचिका पर अस्पताल को जवाब देने का निर्देश दिया
गठबंधन पार्टी के प्रमुखों ने कहा कि वे शरीफ के साथ खड़े रहेंगे और पाकिस्तान को उसके मौजूदा आर्थिक संकट से बाहर निकालने के हित में कड़े और अलोकप्रिय (अप्रिय) फैसलों का सामना करने को लेकर सरकार का समर्थन करेंगे. बैठक में मौजूद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के एक सांसद ने कहा, "सरकार और उसके सहयोगियों ने कड़े आर्थिक फैसले लेने और संवैधानिक कार्यकाल पूरा करने का फैसला किया है." इस दौरान यह भी तय किया गया कि मौजूदा गठबंधन सरकार को अपना डेढ़ साल का संवैधानिक कार्यकाल पूरा करना चाहिए और जल्दी चुनाव नहीं कराना चाहिए.
मुताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान के एक नेता ने कहा, "गठबंधन सरकार अर्थव्यवस्था को ठीक करने और स्थिर करने के लिए आई है और सही काम यह होगा कि अपने राजनीतिक लाभ के बजाय राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी जाए." उन्होंने कहा, "हम इस संबंध में सरकार के साथ खड़े होंगे." इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 20 मई के बाद इस्लामाबाद की ओर एक लॉन्ग मार्च का आह्रान किया है. उन्होंने चेताते हुए कहा है कि जब तक कि मौजूदा सरकार जल्द चुनाव कराने पर सहमत नहीं होती है, उनका और उनके समर्थकों का राजधानी में धरना प्रदर्शन जारी रहेगा.