हाल ही में केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि जनजातीय समुदाय के उगाए पोशक अनाज (मिलेट्स) को केंद्र सरकार G20 की बैठक में प्रमुख भोजन के तौर पर परोसेगी. इससे पोशाक अनाज की ब्रांडिंग होगी और इसका सीधा लाभ जाहिर तौर पर आदिवासी समुदाय को होगा. आदिवासी समुदाय मुख्य रूप से रागी, फॉक्सटेल, ज्वार, कोदो, सामा, कुटकी, कांगनी और चीना जैसे तमाम मोटे अनाज की खेती कर रहा है.
2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित
पीएम मोदी के प्रयास से ही संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है. भारत में इसको लेकर तैयारियां की जा रही है, हाल ही में मोटे अनाज के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से पीएम मोदी ने संसद सदस्यों के साथ मिलकर मोटे अनाज ((मिलेट्स) से बने भोजन का लुत्फ उठाया। राज्यों में भी पोशाक अनाजों को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है. ओडिशा में ‘ओडिशा मिलेट्स मिशन’ चलाया जा रहा है। इस मिशन से जुड़कर आज ओडिशा का जनजातीय समुदाय ने पोशाक अनाजों की खेती कर एक बड़ा मुकाम हासिल किया है. आज ओडिशा रागी उत्पादन में पहले स्थान में हैं और ये ये जनजातीय महिलाओं और किसानों की मेहनत का नतीजा है . ऐसे में यदि G20 के प्रतिनिधियों को पोशक अनाज (मिलेट्स) को प्रमुख भोजन के तौर पर परोसेगी तो यह जनजातीय समुदाय के लिए आत्मविश्वास और सशक्तिकरण का पर्याय बनेगा.
मोटे अनाजों का अग्रणी निर्यातक बनाने के लिए 4 मंत्र
केंद्र सरकार ने भारत को मोटे अनाजों का अग्रणी निर्यातक बनाने के लिए 4 मंत्र दिए हैं जिसके जरिए आने वाले समय में भारत मोटे अनाजों का अग्रणी निर्यातक बनेगा.
1. राज्य मोटे अनाजों पर फोकस के साथ फसल विविधिकरण के लिए कर्नाटक के फल मॉडल की सफलता को दोहरा सकते हैं.
2. मोटे अनाजों के जैव प्रतिबलीकरण की गुणवत्ता तथा सहायता सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए कृषि स्टार्ट अप्स के साथ गठबंधन.
3. परिवारों में मोटे अनाजों के स्वास्थ्य एवं पोषण लाभों के बारे में जागरुकता सृजित करने के लिए अभियान आरंभ करना.
4. ब्रांड इंडिया मिल्लेट को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय लोकसंपर्क.
सरकार की पहल
भारत फिलहाल 9 सामान्य मोटे अनाजों का उत्पादन करता है, भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक तथा दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. मोटे अनाज की सहायता हेतु सरकार राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्य कर रही है, जिसमें मुख्य रूप से गहन बाजरा संवर्द्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा हेतु पहल (Initiative for Nutritional Security through Intensive Millet Promotion-INSIMP) है जिसके माध्यम से सरकार राष्ट्रीय विकास योजना के तहत बाजरा को पौष्टिक अनाज के रूप में बढ़ावा दे रही है, केंद्र सरकार ने 2011-12 में 300 करोड़ के आवंटन को घोषणा की है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने बाजरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी भी की है.
जनजातीय समुदाय के कल्याण पर जोर
जनजातीय समुदाय के विकास के लिए केंद्र सरकार ने आदिवासी बजट में वृद्धि की है. जनजातीय समुदाय के लिए जो बजट 21 हज़ार करोड़ रुपए था, वो आज 88 हज़ार करोड़ रुपए है. आदिवासी क्षेत्रों में 2014 से पहले जहां 100 से कम एकलव्य मॉडल स्कूल थे, आज इनकी संख्या 500 से अधिक पहुंच चुकी है. केंद्र सरकार के प्रयास से ही बिरसा मुंडा जयंती को आदिवासी गौरव दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया था. इसके अलावा केंद्र सरकार के प्रयास से ही आज आदिवासी नायकों को नई पहचान मिल रही है.