नई दिल्ली: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए डिजिटल फॉर्म 16 (ITR Filing with Digital Form 16) लॉन्च कर दिया है. अब टैक्स रिटर्न फाइल करना न सिर्फ आसान होगा, बल्कि ज्यादा सुरक्षित और तेज भी हो गया है. सरकार ने यह कदम हाल ही में ITR फॉर्म 1 से 7 तक के अपडेट के बाद उठाया है. यह डिजिटल फॉर्म न सिर्फ समय की बचत करेगा, बल्कि टैक्स भरते समय गलतियों की संभावना को भी काफी हद तक कम कर देगा.
क्या है फॉर्म 16?
फॉर्म 16 एक टीडीएस (Tax Deducted at Source) सर्टिफिकेट है, जिसे नियोक्ता यानी एम्प्लॉयर अपने कर्मचारियों को जारी करता है. इसमें बताया जाता है कि किसी कर्मचारी की कितनी सैलरी पर कितना टैक्स काटा गया और उसे सरकार को जमा किया गया. यह दस्तावेज आमतौर पर हर साल मई के अंत तक कर्मचारियों को दे दिया जाता है.
कैसे काम करता है डिजिटल फॉर्म 16?
डिजिटल फॉर्म 16 को सीधे TRACES पोर्टल से जनरेट किया जाता है, जिससे इसमें दी गई जानकारी पूरी तरह सटीक और एक समान रहती है. इसमें निम्नलिखित जानकारी होती है:
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सैलरी ब्रेकअप
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टैक्स-फ्री भत्ते (Exemptions)
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कटौतियां (Deductions)
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टीडीएस की जानकारी
अब टैक्सपेयर्स इस डिजिटल फॉर्म को इनकम टैक्स की वेबसाइट या थर्ड पार्टी टैक्स फाइलिंग पोर्टल्स पर सीधे अपलोड कर सकते हैं. सिस्टम खुद-ब-खुद सभी जरूरी जानकारी भर देता है, जिससे टैक्स रिटर्न भरने में लगने वाला समय कम होता है और गलतियों की संभावना घटती है.
अगर कोई गलती होती है, तो सिस्टम अलर्ट भी देता है ताकि समय रहते उसे ठीक किया जा सके.
ITR फॉर्म: किसके लिए कौन सा?
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ITR-1 (सहज)
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सैलरी, पेंशन, ब्याज या एक हाउस प्रॉपर्टी से आमदनी वाले व्यक्ति
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सालाना आय 50 लाख रुपये तक
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अधिकतम ₹5,000 की कृषि आय हो सकती है
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ITR-4 (सुगम)
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बिजनेस या प्रोफेशन से कमाई करने वाले व्यक्ति, HUFs, या फर्म
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सालाना आमदनी 50 लाख रुपये तक
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रिटर्न भरने की आखिरी तारीख
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31 जुलाई 2025: वे टैक्सपेयर्स जिन्हें ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है
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31 अक्टूबर 2025: वे टैक्सपेयर्स जिन्हें ऑडिट कराना जरूरी है, जैसे व्यापारी और प्रोफेशनल्स
डिजिटल फॉर्म 16 टैक्सपेयर्स के लिए एक बड़ा बदलाव है. इससे टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया न केवल सरल और सहज हुई है, बल्कि यह पारदर्शिता और डेटा की सटीकता को भी सुनिश्चित करता है. यदि आपने अभी तक टैक्स फाइल नहीं किया है, तो डिजिटल फॉर्म 16 का लाभ उठाकर जल्द से जल्द अपनी ITR भरें और पेनल्टी से बचें.













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