Govt Employees Pension: केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान, सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को लेकर बनेगी कमेटी
वित्त मंत्री ने लोकसभा में फाइनेंस बिल पेश किया और इस पर वोटिंग हुई. बिल को लोकसभा में पास कर दिया गया. वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त सचिव के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई जाएगी,जो नई पेंशन स्कीम की समीक्षा करेगी.
Govt Employees Pension: शुक्रवार को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा है. वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त सचिव के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई जाएगी. यह कमेटी नई पेंशन स्कीम की समीक्षा करेगी. वित्त मंत्री ने लोकसभा में फाइनेंस बिल पेश किया और इस पर वोटिंग हुई. बिल को लोकसभा में पास कर दिया गया.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार 24 मार्च को बताया कि फाइनेंस सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन (TV Somanathan) की अध्यक्षता वाली एक समिति को सरकारी कर्मचारियों की पेंशन से जुड़े मुद्दों की समीक्षा करने का काम सौंपा गया है. निर्मला सीतारमण ने कहा, "ऐसी मांग आई है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में सुधार की आवश्यकता है." ये भी पढ़ें - Income Tax New App: टैक्सपेयर्स के लिए आयकर विभाग ने लॉन्च किया नया ऐप, TDS सहित इन चीजों की जानकारी मिलेगी की जानकारी
आपको बता दें कि देश में एक जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है. दोनों पेंशन के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं. पुरानी पेंशन योजना के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. इसका भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है.
नई पेंशन स्कीम (NPS) का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है. इसमें कर्मचारी का योगदान उसकी बेसिक सैलरी और DA का 10 फीसदी कर्मचारियों को प्राप्त होता है. इतना ही योगदान प्रदेश सरकार भी देती है. NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है. पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है.
सरकारी खजाने पर बोझ के नजरिए से पुरानी पेंशन योजना को अधिक महंगा माना जाता है, हालांकि कई राज्यों में यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है. हिमाचल प्रदेश की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने से इनकार कर दिया था, जिसकी वजह से उसे वहां हार का सामना करना पड़ा. वहीं महाराष्ट्र में भी इसक योजना को लागू करने की मांग तेज हो गई है.