Ayurvedic Medicines Export Increasing: दुनिया मान रही हैं भारतीय आयुर्वेदिक दवाओं का लोहा, 3 साल में 36 करोड़ किलो जड़ी-बूटियों का हुआ निर्यात
दुनिया में कोरोना की शुरुआत से लेकर अब तक आयुष जड़ी-बूटियों और उत्पादों का निर्यात का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. आयुष मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में आयुष मंत्रालय ने 9.22 मिलियन किलोग्राम से अधिक आयुष जड़ी-बूटियों और उत्पादों का निर्यात किया.
भारत आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की खान है. पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और औषधियों का सदियों से भारत के लोग प्रयोग कर रहे हैं. हालांकि आधुनिकता की दौड़ में हमारी पारंपरिक पद्धति कुछ समय के लिए लोग भूलने लगे थे, लेकिन तभी कोरोना की वजह से एक बार फिर लोगों ने आयुर्वेद की ओर रुख किया. सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोगों को आयुर्वेद और अन्य भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में विश्वास जगा है. यही वजह है कि 3 वर्षो से करीब 36 करोड़ किलो जड़ी-बूटियां पूरी विश्व में निर्यात किया. साफ है कि आयुर्वेदिक उत्पादों के लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता और स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने के प्रति उपभोक्ताओं का झुकाव आयुर्वेद के विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक हैं.
दुनिया में कोरोना की शुरुआत से लेकर अब तक आयुष जड़ी-बूटियों और उत्पादों का निर्यात का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. आयुष मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में आयुष मंत्रालय ने 9.22 मिलियन किलोग्राम से अधिक आयुष जड़ी-बूटियों और उत्पादों का निर्यात किया. 2020-21 में दुनिया भर में 12.55 मिलियन किलोग्राम से अधिक भारतीय जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक उत्पादों को भेजा गया. वहीं 2021 और 22 में यह संख्या बढ़कर करीब 12.62 मिलियन किलो हो गई.
कोरोना का सकारात्मक प्रभाव
महामारी के तेजी से प्रसार ने पूरे देश में लॉकडाउन हुआ, जिसने व्यापार, विनिर्माण और वाणिज्य के क्षेत्र में एक ठहराव ला दिया, जिसने भारत के सभी व्यापार परिदृश्य को मौलिक रूप से बदल दिया. हालांकि, आयुर्वेद उद्योग उन गिने-चुने क्षेत्र में शामिल है, जिन्हें वायरस के प्रकोप से लाभ हुआ है. महामारी के मद्देनजर आयुर्वेदिक प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उत्पादों जैसे चवनप्राश, गिलोय की गोलियां, गिलोय चूर्ण, शहद और अश्वगंधा की गोलियों की मांग आसमान छू रही है. इसके अलावा, तनाव को दूर करने और प्रतिरक्षा को मजबूत करने के लिए प्राकृतिक आहार पूरक की मांग में वृद्धि हुई है. इस प्रकार, कोविड 19 की रोकथाम और उपचार के लिए प्राकृतिक उत्पादों और आयुर्वेदिक यौगिकों को अपनाने से समग्र उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
आयुष मंत्रालय ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:
भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पूरे विश्व में धीरे-धीरे फैल रही है. आयुष मंत्रालय ने ट्रेडिशनल मेडिसिन्स क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कई बड़े कदम उठाएं हैं. इसके लिए भारतीय प्राचीन चिकित्सा से संबंधित उपचार और दवाओं के लिए कई देशों में कई समझौते किए गए हैं.
–जड़ी-बूटी उत्पादों के लिए डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देशों के अनुसार, आयुष मंत्रालय उत्पाद
प्रमाणन (सीओपीपी) को प्रोत्साहित करता है.
–आयुष मंत्रालय ने क्यूसीआई (Quality Council of India) के सहयोग से गुणवत्ता प्रमाणन कार्यक्रम: एएसयू एंड एच (आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी) उत्पादों के मानकों की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए प्रीमियम मार्क विकसित किया है.
–आयुष उत्पादों के गुणवत्ता मानक के लिए आयुष मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों (आईएसओ) का विकास करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के साथ सहयोग किया है.
-आयुर्वेद और अन्य भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के क्षेत्र में मानकों को मजबूत करने, उनका संवर्धन तथा विकास करने के लिए भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी भेषज संहिता आयोग (पीसीआईएम एंड एच), आयुष मंत्रालय और अमेरिकन हर्बल फार्माकोपिया, यूएसए के बीच 13 सितम्बर, 2021 को दोनों देशों के बीच समानता और पारस्परिक लाभ के आधार पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
–आयुर्वेद पर भारतीय-ईयू तकनीकी कार्यकारी समूह (टीडब्ल्यूजी) स्थापित किया गया है. तकनीकी कार्यकारी समूह में आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, यूरोपीय आयोग, यूरोपीय औषधि एजेंसी (ईएमए) और जड़ी-बूटी औषधीय उत्पादों संबंधी समिति (एचएमपीसी) के तकनीकी विशेषज्ञों का प्रतिनिधित्व शामिल है.
–मंत्रालय ने आयुष में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के संवर्धन की केंद्रीय क्षेत्रक योजना विकसित की है, जिसके अंतर्गत आयुष उत्पादों और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारतीय आयुष विनिर्माताओं या आयुष सेवा प्रदाताओं को सहायता प्रदान करना, अंतर्राष्ट्रीय संवर्धन को सुविधाजनक बनाने, आयुष चिकित्सा पद्धतियों के विकास और मान्यता, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हितधारकों में परस्पर बातचीत को बढ़ावा देने और आयुष का बाजार विकास करने, विदेशों में आयुष शैक्षणिक पीठों की स्थापना द्वारा शिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा पद्धतियों के बारे में जागरूकता और रुचि को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला, विचार गोष्ठी आयोजित करना शामिल है.
पूरे विश्व में आयुष उत्पादों और सेवाओं के विकास और निर्यात के लिए नीति के एक भाग के रूप में आयुष मंत्रालय ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:
–मंत्रालय ने अन्य देशों के साथ पारंपरिक चिकित्सा और होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग के लिए 25 देश दर देश समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं.
–सहयोगात्मक अनुसंधान या शैक्षणिक सहयोग करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ 37 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
–विदेशों में आयुष शैक्षणिक पीठों की स्थापना के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ 15 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
–आयुष मंत्रालय ने 34 देशों में 38 आयुष सूचना प्रकोष्ठों की स्थापना के लिए सहायता प्रदान की.
–आयुष मंत्रालय अपने अंतर्राष्ट्रीय छात्रवृत्ति कार्यक्रम के अंतर्गत विदेशी नागरिकों को भारत में मान्यता प्राप्त आयुष संस्थानों में आयुष पाठ्यक्रम पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करता है.
–आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने वाणिज्य विभाग के परामर्श से आयुष उत्पादों य़ा औषधियों के साथ-साथ आयुष सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आयुष निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) की स्थापना में सहायता की है. इसे पीएम मोदी द्वारा 20 अप्रैल 2022 को गांधीनगर (गुजरात) में ग्लोबल आयुष इनोवेशन एंड इनवेस्टमेंट समिट में आरंभ किया गया था.
–कंपनी अधिनियम, 2016 के अंतर्गत एईपीसी एक पंजीकृत निजी कंपनी है। एईपीसी का एक अध्यक्ष होगा, जिसे निदेशकों के बीच से निर्वाचित किया जाएगा.एईपीसी के निदेशकों की संख्या दो से कम और बारह से अधिक नहीं होगी.
यह आयुष उत्पादों और सेवाओं का संवर्धन करने तथा इनके निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आयुष व वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत सिंगल विडो सिस्टम और समर्पित प्लेटफार्म के रूप में कार्य करेगा.