7th Pay Commission: खुशखबरी! मोदी सरकार ने अपने इन कर्मचारियों को दिया दशहरा का तोहफा

मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के एक वर्ग को बहुत बड़ी सौगात दी है. केंद्र ने दशहरा 2021 से पहले सभी पात्र अराजपत्रित (Non-Gazetted) रेल (Indian Railways) कर्मचारियों के लिए बोनस की घोषणा की है. हालांकि इसमें आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मी शामिल नहीं है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

7TH CPC Latest News: मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के एक वर्ग को बहुत बड़ी सौगात दी है. केंद्र ने दशहरा 2021 से पहले सभी पात्र अराजपत्रित (Non-Gazetted) रेल (Indian Railways) कर्मचारियों के लिए बोनस की घोषणा की है. हालांकि इसमें आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मी शामिल नहीं है. 7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी को लेकर आई यह बड़ी अपडेट, इसी महीने मिल सकती है खुशखबरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को वित्तवर्ष 2020-21 के लिए रेलवे सुरक्षा बल और रेलवे सुरक्षा विशेष बल के जवानों के लिए 78 दिनों के वेतन के बराबर उत्पादकता से जुड़े बोनस (पीएलबी) को मंजूरी दे दी. रेल कर्मचारियों को 78 दिनों के पीएलबी के भुगतान का वित्तीय भार 1984.73 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.

पात्र अराजपत्रित रेल कर्मचारियों को पीएलबी के भुगतान के लिए निर्धारित वेतन गणना की सीमा 7,000 रुपये प्रतिमाह है. प्रति पात्र रेल कर्मचारी के लिए 78 दिनों की अधिकतम देय राशि 17,951 रुपये है. इस निर्णय से लगभग 11.56 लाख अराजपत्रित रेल कर्मचारियों को लाभ होने की संभावना है. पात्र रेल कर्मचारियों को पीएलबी का भुगतान प्रत्येक वर्ष दशहरा/पूजा की छुट्टियों से पहले किया जाता है. कैबिनेट के इस निर्णय को इस साल की छुट्टियों से पहले ही लागू किया जाएगा.

वित्त वर्ष 2010-11 से 2019-20 के लिए 78 दिनों के वेतन की पीएलबी राशि का भुगतान किया गया. वर्ष 2020-21 के लिए भी 78 दिनों के वेतन के बराबर पीएलबी राशि का भुगतान किया जाएगा, जिससे कर्मचारी रेलवे के कार्य निष्पादन में सुधार की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित होंगे. रेलवे में उत्पादकता से जुड़ा बोनस पूरे देश में फैले सभी अराजपत्रित रेलवे कर्मचारियों (आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों को छोड़कर) को कवर करता है.

रेलवे केंद्र सरकार का पहला मंत्रालय था, जहां 1979-80 में पीएलबी की अवधारणा पेश की गई थी, जिसे दो मान्यता प्राप्त संघों, ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन के परामर्श से और कैबिनेट की मंजूरी के साथ विकसित किया गया था. इस योजना में हर तीन साल में समीक्षा की परिकल्पना की गई है. उस समय अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे को सहयोग देने में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका थी.

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