वित्त वर्ष 26 के बाद 8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था: आरबीआई डिप्टी गवर्नर
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नई दिल्ली, 23 अक्टूबर : भारत की आर्थिक विकास दर वित्त वर्ष 2025-26 के बाद एक बार फिर से 8 प्रतिशत के आंकड़े को छू सकती है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा की ओर से यह बयान दिया गया.

अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बैंक की ओर से न्यूयॉर्क में आयोजित किए गए फेड सेंट्रल बैंकिंग सेमिनार में पात्रा ने कहा कि भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है वित्त वर्ष 2025-26 में यह दर 7 प्रतिशत रह सकती है. हालांकि, इसके बाद वृद्धि दर में तेजी आएगी और दोबारा से यह 8 प्रतिशत पहुंच जाएगी. यह भी पढ़ें: iPhone 16: आईफोन 16 सीरीज से क्लिक करें दीपावली पर बेस्ट फोटो, दिग्गज फोटोग्राफरों ने शेयर किए टिप्स

पात्रा ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि हमारा मानना है कि महामारी के बाद आई तेजी के बाद एक धीमापन आया है. इस कारण से भारत की रियल जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में 7 प्रतिशत रह सकती है. इसके बाद, इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत की वृद्धि अपने 8 प्रतिशत के रुझान पर वापस आ जाएगी. डिप्टी गवर्नर ने वैश्विक जोखिमों को कम करने के लिए व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और वित्तीय बफर बनाने के महत्व पर जोर दिया.

उन्होंने आगे कहा, "हमारा मानना है कि वैश्विक जोखिमों के विरुद्ध सर्वोत्तम बचाव, व्यापक आर्थिक बुनियादी बातों को मजबूत करना तथा विवेकपूर्ण व्यापक आर्थिक नीतियों द्वारा समर्थित पर्याप्त बफर्स का निर्माण करना है." भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 27 सितंबर को 704.9 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था, जो 11 अक्टूबर को घटकर 690.4 बिलियन डॉलर रह गया. ये भंडार, जो 11.8 महीने के आयात को कवर कर सकता है, जून 2024 तक देश के विदेशी ऋण के 101 प्रतिशत से अधिक है.

महंगाई पर पात्रा ने कहा कि अनुमानों से पता चलता है कि मूल्य दबाव अक्टूबर और नवंबर तक जारी रहेगा, और उम्मीद है कि दिसंबर तक मुख्य दर आरबीआई के लक्ष्य के अनुरूप हो जाएगी और पूरे वित्त वर्ष 26 में स्थिर रहेगी. आरबीआई ने सामान्य मानसून और स्थिर आपूर्ति शृंखलाओं को मानते हुए वित्त वर्ष 2025 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत लगाया था. हालांकि, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और कम आधार के कारण सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति दर नौ महीने के उच्चतम स्तर 5.49 प्रतिशत पर पहुंच गई.