नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) को सोमवार को मौत की सजा सुनाई गई है. उन्हें ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने के लिए मौत की सजा दी. बाकी मामलों में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई. ICT ने उन्हें 5 मामलों में आरोपी बनाया था. इसी बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने बांग्लादेश के ‘इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल’ के फैसले का संज्ञान लिया है. फैसले पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि एक करीबी पड़ोसी के रूप में भारत बांग्लादेश के लोगों के सर्वोत्तम हितों के लिए प्रतिबद्ध है.
भारत ने कहा है कि उसने इस फैसले पर गौर किया है और वह पड़ोसी देश में शांति, लोकतंत्र और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से बातचीत करेगा. यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत से शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने का अनुरोध किया है.
पिछले साल से भारत में हैं शेख हसीना
शेख हसीना ने पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद देश छोड़ दिया था. तबसे ही वह भारत में रह रही हैं. हसीना के जाने के बाद मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली थी और वह अंतरिम सरकार के प्रमुख हैं.
भारत ने दिया कूटनीतिक संदेश
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत बांग्लादेश की स्थिरता के लिए सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ा रहेगा. ढाका ने कहा है कि हसीना फरार दोषी हैं और उन्हें वापस भेजना नई दिल्ली की अनिवार्य जिम्मेदारी है. इस अनुरोध ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है.
शेख हसीना दोषी करार, मौत की सजा सुनाई गई
बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल ने हसीना को तीन गंभीर आरोपों में दोषी पाया है उकसाने का आरोप, हत्या का आदेश देने का आरोप, और अत्याचार रोकने में विफल रहने का आरोप. इन आरोपों को पिछले वर्ष हुए उन हिंसक छात्र प्रदर्शनों से जोड़ा गया है, जिनके चलते हसीना की सरकार गिर गई थी और उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा था.
ढाका का कड़ा रुख: दूसरे देशों द्वारा शरण देना ‘अनफ्रेंडली एक्ट’
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय द्वारा भारत को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जिन व्यक्तियों को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी पाया गया है, उन्हें किसी अन्य देश द्वारा शरण देना “बहुत ही अनफ्रेंडली एक्ट” माना जाएगा.













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