Suicide Cases in India: दुनिया में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं भारत में होती हैं, जानें दहला देने वाला आंकड़े व इसके पीछे के कारण

भारत दुनिया में आत्महत्या के मामले में सबसे ऊपर है. NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत में 1.71 लाख लोगों ने आत्महत्या की. आत्महत्या दर बढ़कर 12.4 प्रति 1,00,000 हो गई है.

(Photo : X)

NCRB Suicide Report: मुंबई में पिता-पुत्र की आत्महत्या की हालिया घटना ने हमें झकझोर दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या भारत में युवाओं और बड़ों दोनों के लिए सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है.

भारत दुनिया में आत्महत्या के मामले में सबसे ऊपर है. अप्रैल में जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में भारत में 1.71 लाख लोगों ने आत्महत्या की. आत्महत्या दर बढ़कर 12.4 प्रति 1,00,000 हो गई है - जो भारत में अब तक की सबसे ऊँची दर है, लेकिन इस दुखद घटना के पीछे क्या कारण है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि मुख्य कारण अवसाद है - एक मानसिक बीमारी जो कुछ लोगों में आनुवंशिक हो सकती है और कुछ प्रकार के तनाव के कारण हो सकती है. नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के मनोचिकित्सा और व्यवहार विज्ञान संस्थान के उपाध्यक्ष, राजीव मेहता ने बताया कि- "आत्महत्या का सबसे आम अंतर्निहित कारण अवसाद है, जिसे हम आम भाषा में तनाव कहते हैं. वैसे तो यह आवेग या अन्य कारकों के कारण भी हो सकता है, लेकिन ज़्यादातर मामले अवसाद के कारण होते हैं."

डॉक्टर ने बताया कि ज़िन्दगी में आम तनाव काम, पैसे, रिश्तों के मामले और सेहत से जुड़े होते हैं.

"ये चार आम क्षेत्र हैं जहाँ ज़िन्दगी में उतार-चढ़ाव तनाव पैदा कर सकते हैं और धीरे-धीरे जब तनाव गंभीर हो जाता है, तो यह चिंता और अवसाद में बदल जाता है, जो आत्महत्या की तरफ ले जाता है," उन्होंने स्पष्ट किया.

अध्ययन यह भी दर्शाते हैं कि लगभग 50 से 90 प्रतिशत व्यक्ति जो आत्महत्या करते हैं, वह अवसाद, चिंता और द्विध्रुवीय विकार जैसे मानसिक बीमारियों से भी पीड़ित होते हैं.

मनोचिकित्सक और LiveLoveLaugh के अध्यक्ष, श्याम भट ने IANS को बताया कि - "आज, आत्महत्या भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है. यह युवाओं में मृत्यु का मुख्य कारण है. आत्महत्या अत्यधिक तनाव के दौरान आवेग में आकर हो सकती है, और जो व्यक्ति इसके प्रति संवेदनशील हैं, वह ऐसे तनावों का सामना करने में संकर्ष कर सकते हैं जैसे आर्थिक कठिनाइयां, चिकित्सा स्थिति या व्यक्तिगत नुकसान. अकेलापन और अलगाव भी महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं."

 

गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट की परामर्शदाता मनोचिकित्सक, शंभवी जैमन ने कहा- "भारत में आत्महत्या का बढ़ता रुझान काफी चिंताजनक है और इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है."

डॉक्टर ने IANS को बताया कि - मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं या मानसिक बीमारियों जैसे अवसाद के अलावा, आर्थिक तनाव, बेरोजगारी, वित्तीय अस्थिरता, अपने व्यवसाय में किसी भी कारण से बड़े कर्ज, पारिवारिक संघर्ष और वैवाहिक असंतोष सब निराशा की तरफ ले जाते हैं, यह सब अन्य योगदान करने वाले कारक हैं, दुर्भाग्यवश, कलंक और डर के कारण, आत्महत्या के बारे में चर्चा अक्सर गुप्त रूप से होती है, जो इसके रहस्य को और बढ़ाती है.

श्याम ने बिना न्याय या अनचाही सलाह के दुख में डूबे लोगों को वास्तविक समर्थन देने और उनकी मदद करने के लिए मार्गदर्शन खोजने के लिए कहा. उन्होंने कहा- "अगर आप देखते हैं कि कोई व्यक्ति अवसादग्रस्त या उदास है, तो उनका प्रोत्साहन करें. उनकी मदद करने में समर्थन दें कि वह एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से जुड़ें जो परिप्रेक्ष्य और मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है."

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