इजरायल नहीं बल्कि DRDO ही सेना के लिए बनाएगी स्वदेशी एंटी-टैंक मिसाइल, हजारों करोड़ की डील रद्द

भारत ने इजरायल से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल स्पाइक की खरीद वाली डील को रद्द कर दिया है. बताया जा रहा है दोनों देशों के बीच यह रक्षा डील करीब 34.75 हजार करोड़ रुपए (500 मिलियन डॉलर) में तय हुई थी. दरअसल रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दावा किया है कि वह देश के अंदर ही इजरायल से मिलने वाले मिसाइल का निर्माण कर सकता है. जिसके बाद इस मिसाइल सौदे को कैंसिल कर दिया गया.

इजरायल से रद्द हुई एंटी टैंक मिसाइल डील (Photo Credits: Facebook/File)

नई दिल्ली: भारत ने इजरायल (Israel) से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल स्पाइक (Spike Anti Tank Missile) की खरीद वाली डील को रद्द कर दिया है. बताया जा रहा है दोनों देशों के बीच यह रक्षा डील करीब 34.75 हजार करोड़ रुपए (500 मिलियन डॉलर) में तय हुई थी. दरअसल रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दावा किया है कि वह देश के अंदर ही इजरायल से मिलने वाले मिसाइल का निर्माण कर सकता है. जिसके बाद इस मिसाइल सौदे को कैंसिल कर दिया गया.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल से स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइलों को खरीदने की एक डील को रद्द कर दिया गया  है क्योकि डीआरडीओ (DRDO) ने वादा किया है कि वह दो सालों के अंदर इजरायल से मिलने वाली एंटी-टैंक मिसाइल स्वदेश में बना लेगा. हालांकि इस बात की अब तक कोई अधिकारिक पुष्टी नहीं हो सकी है.

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भारत सरकार ने स्पाइक एंटी टैंक मिसाइल के लिए इजरायल के ‘राफेल एडवांस डिफेंस सिस्टम’ कंपनी से सौदा किया था. आपको बता दें कि यह रक्षा डील पहले भी रद्द हो चुकी थी लेकिन पिछले साल इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के दौरे से ठीक पहले इसपर दोबारा विचार करने का आश्वाशन दिया गया था. दरअसल भारत सरकार पहले से ही यहीं चाहती है कि घरेलू रक्षा हथ‌ियारों को विकसित करने वाले डीआरडीओ द्वारा एंटी टैंक मिसाइल को देश में ही तैयार किया जाए.

गौरतलब हो कि इसी साल मार्च महीने में डीआरडीओ ने राजस्‍थान के रेगिस्‍तान रेंज में दूसरी बार देश में विकसित कम वजन का फायर एंड फॉरगेट मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) का सफल प‍रीक्षण किया था. एमपीएटीजीएम में एकीकृत वैमानिकी व्‍यवस्‍था के साथ अत्‍याधुनिक इमेजिंग इंफ्रारेड रडार (आईआईआर) साधक है. जो दुश्मनों का अचूक खात्मा कर सकती है. इसका पहला परीक्षण डीआरडीओ ने इसी साल 13 मार्च को किया था. दोनों मिशनों में मिसाइलों ने विभिन्‍न रेंजों पर निर्धारित लक्ष्‍यों पर सटीक निशाना साधा. यह परिक्षण पूरी तरह से सफल रहा था.

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