नई दिल्ली: भारत से करोडों रुपए लेकर फरार हुए मेहुल चोकसी एंटीगा की नागरिकता हासिल करने में भले ही कामयब हो गया. लेकिन उनके खिलाफ भारत सरकार का शिकंजा धीरे-धीरे कसता ही जा रहा है. भारत और एंटीगा के बीच मेहुल को लाने को लेकर प्रत्यर्पण संधि पर दोनों सरकारों की तरफ से हस्ताक्षर हो गए हैं. इस संधि के बाद मेहुल को आसानी से भारत लाया जा सकता है.
इस संधि के बाद चोकसी को भारत लाने को लेकर मोदी सरकार की एक सफलता मानी जा रहा है. क्योंकि मेहुल को भारत से भाग जाने को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमला कर रहा है. घटिया सामनों को उंची कीमतों में बेचा करता था मेहुल चोकसी: प्रवर्तन निदेशालय
गौरतलब हो कि पंजाब नेशनल बैंक के 13 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में मास्टरमाइंड नीरव मोदी के साथ मेहुल चोकसी भी शामिल था. वह भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी का रिश्तेदार भी है. बैंक का पैसा खाने के बाद दोनों पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए विदेश भाग गए. चोकसी इसी साल 4 जनवरी को एंटीगुआ में जाकर छुप गया और वहां की नागरिकता ले ली.
मेहुल को नागरिकता दिए जाने के बारे में वहां की सरकार ने सफाई दिया था कि भारत की ओर से पुलिस क्लियरेंस मिलने के बाद ही मेहुल को नागरिकता दी गई है. यदि यहां की सरकार को मालूम होता कि उसके खिलाफ घोटाले का आरोप है तो उसे एंटीगा की नागरिकता नहीं दी जाती. CM केजरीवाल का पीएम मोदी पर बड़ा हमला, कहा-चोकसी को भगाने में CBI ने की मदद, सरकार देश के साथ कर रही है गद्दारी