IMD- Monsoon 2024 Prediction: आईएमडी ने दी खुशखबरी, लाल नीना के चलते मानसून होगा मेहरबान, बारिश से मिलेगी राहत

भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि तापमान मॉडल संकेत दे रहे हैं कि जुलाई-सितंबर के आसपास प्रशांत महासागर में लाल नीना की स्थिति बनने की संभावना है.

(Photo : X)

IMD- Monsoon 2024 Prediction: भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया है कि अधिकांश तापमान मॉडल संकेत दे रहे हैं कि जुलाई-सितंबर के आसपास प्रशांत महासागर में लाल नीना (La Niña) की स्थिति बनने की संभावना है. लाल नीना का भारतीय दक्षिण-पश्चिम मानसून पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए इसकी संभावना देश के लिए अच्छी खबर है.

लाल नीना एक जलवायु परिघटना है जिसमें प्रशांत महासागर के पूर्वी मध्य भाग में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है. इसका प्रभाव वैश्विक वायु प्रवाह पैटर्न को बदलता है और भारतीय मानसून के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करता है. लाल नीना के वर्षों में आमतौर पर भारत में सामान्य से अधिक या सामान्य वर्षा होती है.

आईएमडी ने बताया कि वर्तमान में प्रशांत महासागर में मध्यम लाल नीना की स्थिति है और आगामी मानसून सीजन के दौरान भी इसके जारी रहने की संभावना है. उन्होंने कहा, "हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मौसम की भविष्यवाणी अनिश्चितता के अधीन है और हम अभी मानसून की सटीक मात्रा की भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं."

आईएमडी ने बताया कि तापमान मॉडल के अलावा, अन्य समुद्र-वायु इंडेक्स जैसे इंडियन ओशन डिपोल (आईओडी) भी मानसून को प्रभावित करते हैं. वर्तमान में, आईओडी तटस्थ अवस्था में है, लेकिन मानसून सीजन के दौरान सकारात्मक आईओडी विकसित होने की संभावना है, जो मानसून के लिए एक और अनुकूल संकेत है.

आईएमडी का मानना है कि लाल नीना और संभावित सकारात्मक आईओडी के संयुक्त प्रभाव से 2024 में सामान्य से अधिक या सामान्य वर्षा होने की संभावना है. इससे किसानों, उद्योगपतियों और देश की अर्थव्यवस्था सभी को लाभ हो सकता है.

हालांकि, आईएमडी ने यह भी सलाह दी है कि किसानों को अभी से मानसून की पूर्वानुमान पर निर्भर रहने के बजाय फसल चयन और जल प्रबंधन की रणनीति बनानी चाहिए. साथ ही, मानसून की प्रगति पर नजर रखते रहना चाहिए और मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए सलाह का पालन करना चाहिए.

कुल मिलाकर, लाल नीना की ओर अग्रसर तापमान मानसून के लिए एक सकारात्मक संकेत है. हालांकि, सतर्कता और जल प्रबंधन के जरिए हम सुनिश्चित कर सकते हैं कि आगामी मानसून का लाभ देश को अधिकतम मिले.

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