देहरादून: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर-पश्चिम भारत के कई राज्यों के लिए अगले कुछ दिनों तक भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है. खासकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अत्यधिक भारी वर्षा (लगभग 21 सेमी) की संभावना जताई गई है. इस असामान्य मौसम का कारण है पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) और मानसून का आपसी टकराव. बीते 24 घंटों में कई राज्यों में झमाझम बारिश दर्ज की गई है. हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब, पश्चिम राजस्थान, तेलंगाना में बहुत भारी बारिश हुई. हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान में भारी बारिश हुई. जम्मू, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश, अंडमान-निकोबार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, गुजरात में मध्यम से भारी बारिश हुई.
हिमाचल और उत्तराखंड में फिर से फ्लैश फ्लड और भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है, वहीं गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित हो सकता है.
हिमाचल-उत्तराखंड में रेड अलर्ट
मौसम विभाग ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट जारी किया. अगले तीन दिन तक इन क्षेत्रों में बादल फटने जैसी घटनाओं और भूस्खलन (Landslide) का खतरा बढ़ सकता है. इससे पहाड़ी इलाकों में नदी-नालों का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है.
पश्चिमी भारत और तटीय इलाकों में भी भारी बारिश
IMD के अनुसार, इस हफ्ते पश्चिमी भारत और तटीय इलाकों में भी बारिश का दौर तेज रहेगा. 3 से 6 सितंबर तक कोंकण, गोवा, मध्य महाराष्ट्र, गुजरात और तटीय कर्नाटक में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है. गुजरात के कुछ हिस्सों में 4 और 5 सितंबर को अति भारी बारिश की आशंका है.
क्यों हो रही है इतनी बारिश?
मानसून ट्रफ अपनी सामान्य स्थिति के करीब बनी हुई है. उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और म्यांमार तट पर चक्रवातीय परिसंचरण सक्रिय है. इसके अलावा उत्तर-पश्चिम राजस्थान और उसके आसपास भी एक और चक्रवातीय परिसंचरण मौजूद है. इन सिस्टम्स के साथ पश्चिमी विक्षोभ की टक्कर हो रही है, जिससे बारिश का पैटर्न और तीव्र हो गया है.
पश्चिमी विक्षोभ और मानसून की असामान्य टक्कर
आमतौर पर पश्चिमी विक्षोभ अक्टूबर-नवंबर से उत्तर भारत को प्रभावित करते हैं और सर्दियों में बारिश लाते हैं. लेकिन इस साल अगस्त-सितंबर में ही लगातार 5 सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ बने, जिन्होंने मानसून से टकराकर अत्यधिक बारिश और बाढ़ की स्थिति पैदा की.
स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञ महेश पलावत के अनुसार, “यह असामान्य है कि मानसून के दौरान पश्चिमी विक्षोभ इतना प्रभाव डालें. इस समय अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी भरी हवाएं इनसे मिल रही हैं. इससे उत्तर भारत में फिर से अत्यधिक बारिश हो सकती है.”













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