संभव हो तो 6-8 हफ्तों के लिए दिल्ली छोड़ दें, जहरीली हवा पर देश के टॉप डॉक्टर ने किया अलर्ट
डॉ. खिलनानी बताते हैं कि इस प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है. AIIMS की एक स्टडी में पाया गया है कि दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों में बच्चों के फेफड़ों का विकास सामान्य रूप से नहीं हो पाता.
दिल्ली की हवा लगातार बेहद खराब श्रेणी में बनी हुई है. राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI 377 से अधिक दर्ज किया गया है, जबकि कुछ इलाकों में स्थिति इससे भी भयावह हो चुकी है. आनंद विहार, चांदनी चौक, आरके पुरम और रोहिणी जैसे क्षेत्रों में AQI 400 के पार पहुंच गया है, जो ‘सीवियर’ कैटेगरी में आता है. इसका मतलब है कि वहां की हवा किसी जहर से कम नहीं, और हर सांस शरीर को नुकसान पहुंचा रही है.
इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए AIIMS के पूर्व पल्मोनोलॉजिस्ट और वरिष्ठ फेफड़ा विशेषज्ञ डॉ. गोपी चंद खिलनानी Dr (Gopi Chand Khilnani) ने चौंकाने वाली सलाह दी है. उनका कहना है कि जिन लोगों को पुरानी हृदय या फेफड़ों की बीमारियां हैं, जिन्हें सांस लेने में दिक्कत रहती है, या जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, वे अगले छह से आठ हफ्तों के लिए दिल्ली छोड़ दें, यदि ऐसा करना उनके लिए संभव है. डॉक्टर के अनुसार, नवंबर और दिसंबर के दौरान प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक होता है और इस समय फेफड़ों से जुड़े मरीजों की हालत तेजी से बिगड़ सकती है.
बच्चों पर पड़ रहा बेहद बुरा असर
डॉ. खिलनानी बताते हैं कि इस प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है. AIIMS की एक स्टडी में पाया गया है कि दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों में बच्चों के फेफड़ों का विकास सामान्य रूप से नहीं हो पाता. जहां पहले फेफड़ों की बीमारी का मुख्य कारण तंबाकू और धूम्रपान माना जाता था, अब आधे से अधिक मामलों में जिम्मेदार हवा का प्रदूषण है.
प्रदूषण से कैंसर
यही नहीं, पहले फेफड़ों के कैंसर के लगभग 80 प्रतिशत मरीज धूम्रपान करने वाले होते थे, लेकिन आज लगभग 40 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जिन्होंने कभी सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाया. इससे साफ है कि प्रदूषण अब कैंसर की एक बड़ी वजह बन चुका है, और खासतौर पर युवाओं में इसका खतरा तेजी से बढ़ रहा है.
दिल, दिमाग, किडनी, हार्मोनस पर भी बुरा असर
वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को नहीं, बल्कि पूरे शरीर को प्रभावित करता है. इसका जहर दिल, दिमाग, किडनी, आंतों, हार्मोन सिस्टम और इम्यूनिटी पर भी भारी पड़ रहा है. लंबे समय तक जहरीली हवा में सांस लेने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जाती है और व्यक्ति कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है.
एयर प्यूरीफायर आएंगे काम?
क्या एयर प्यूरीफायर इस स्थिति में मदद कर सकते हैं? इस पर डॉक्टर का कहना है कि एक अच्छा एयर प्यूरीफायर कमरे की हवा को कुछ हद तक साफ कर सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कमरा बंद रहे और मशीन लगातार चालू हो. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मानता है कि एयर प्यूरीफायर बहुत प्रभावी समाधान नहीं हैं, फिर भी घर पर रहने वाले फेफड़ों और दिल के मरीजों के लिए यह कुछ राहत दे सकते हैं.
अनावश्यक बाहर निकलने से बचें
दिल्ली इस समय एक गैस चैंबर जैसा माहौल झेल रही है. इसलिए विशेषज्ञों की सलाह है कि अनावश्यक बाहर निकलने से बचें, N-95 मास्क का उपयोग करें, बच्चों और बुजुर्गों की विशेष देखभाल करें और डॉक्टरों की सलाह का पालन करें. और सबसे महत्वपूर्ण यदि आपके पास कोई विकल्प है, तो कम से कम दिसंबर मध्य तक किसी कम प्रदूषित स्थान पर चले जाएं, क्योंकि स्वास्थ्य से बड़ी कोई चीज नहीं.