Airbag Case: एयरबैग नहीं खुले, तो क्या कार कंपनी दोषी? सीट बेल्ट की अनदेखी पड़ी भारी, NCDRC ने सुनाया अहम फैसला

NCDRC ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें एक दुर्घटना के बाद एयरबैग नहीं खुलने पर होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड को मुआवजा देने का राज्य आयोग का आदेश रद्द कर दिया गया.

हाल ही में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें एक दुर्घटना के बाद एयरबैग नहीं खुलने पर होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड को मुआवजा देने का राज्य आयोग का आदेश रद्द कर दिया गया.

मामला क्या था?

एक होंडा सिविक कार मालिक की कार का एक्सिडेंट हो गया, जिससे कार का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया और उन्हें चोटें आईं. उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई, यह दावा करते हुए कि एयरबैग नहीं खुलने के कारण उन्हें चोटें आईं और होंडा को मुआवजा देना चाहिए. राज्य आयोग ने होंडा को ₹1 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया, यह मानते हुए कि एयरबैग खुलने चाहिए थे.

होंडा ने क्या कहा?

होंडा ने NCDRC में अपील की, यह तर्क देते हुए कि एयरबैग तभी खुलते हैं जब सीट बेल्ट पहनी जाती है, और इस मामले में, शिकायतकर्ता ने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी. उन्होंने यह भी कहा कि कार में कोई निर्माण दोष नहीं था.

NCDRC का फैसला

NCDRC ने होंडा की अपील को स्वीकार कर लिया और राज्य आयोग के आदेश को रद्द कर दिया. उन्होंने पाया कि:

सीट बेल्ट पहनना ज़रूरी: एयरबैग के काम करने के लिए सीट बेल्ट पहनना ज़रूरी होता है. इस मामले में, चूँकि सीट बेल्ट नहीं पहनी गई थी, इसलिए एयरबैग नहीं खुले.

निर्माण दोष का कोई सबूत नहीं: शिकायतकर्ता निर्माण दोष साबित करने में विफल रहे.

राज्य आयोग का निर्णय गलत: राज्य आयोग ने बिना किसी तकनीकी या विशेषज्ञ राय के और बिना तथ्यों या कानूनी मिसाल के आधार पर फैसला सुनाया.

इस फैसले का क्या मतलब है?

यह फैसला कार मालिकों और निर्माताओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. यह स्पष्ट करता है कि एयरबैग के काम करने के लिए सीट बेल्ट पहनना ज़रूरी है. साथ ही, यह यह भी बताता है कि निर्माण दोष के दावों को साबित करने के लिए ठोस सबूतों की आवश्यकता होती है.

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