Hul Diwas 2023: पीएम मोदी ने हूल दिवस पर आदिवासी क्रांतिकारियों को किया नमन, अमित शाह और हेमंत सोरेन ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

हुल दिवस हर साल 30 जून को संथाल हुल की याद में मनाया जाता है, जो 1855 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक प्रमुख आदिवासी विद्रोह था. इस विद्रोह का नेतृत्व झारखंड के दो आदिवासी प्रमुखों सिधू मुर्मू और कान्हू मुर्मू ने किया था.

Hul Diwas 2023: हूल दिवस 2023 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी समाज के नायकों और नायिकाओं को श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "हुल दिवस पर, हम उन आदिवासी नेताओं की वीरता और बलिदान को याद करते हैं. जिन्होंने अपने समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. उनका संघर्ष हम सभी के लिए प्रेरणा है.

संताल हूल के महानायक सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो को पूरे झारखंड ने हूल दिवस पर याद किया. उनकी वीरता का गुणगान किया. झारखंड के साहेबगंज जिले के भोगनाडीह में हूल दिवस पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. यहां बतौर मुख्य अतिथि सीएम हेमंत सोरेन समेत कई गणमान्य मौजूद रहे.

 

गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया, "हुल दिवस आदिवासी समुदाय के साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. सिद्धो-कान्हू, चाँद-भैरव व फूलो-झानो जैसे बलिदानियों की विदेशी हुकूमत के शोषण के विरोध में संघर्ष की गाथा देशवासियों को प्रेरित करती रहेगी."

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा, "हूल दिवस उन आदिवासी नेताओं के बलिदान को याद करने का दिन है जिन्होंने उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उनके संघर्ष ने आदिवासियों की पीढ़ियों को प्रेरित किया है और हमारे देश के इतिहास को आकार देने में मदद की है."

हुल दिवस हर साल 30 जून को संथाल हुल की याद में मनाया जाता है, जो 1855 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक प्रमुख आदिवासी विद्रोह था. इस विद्रोह का नेतृत्व झारखंड के दो आदिवासी प्रमुखों सिधू मुर्मू और कान्हू मुर्मू ने किया था. विद्रोहियों ने अपने अधिकारों के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जिसमें भूमि का अधिकार और अपने स्वयं के रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करने का अधिकार शामिल था. विद्रोह को अंततः अंग्रेजों ने दबा दिया, लेकिन इसे आदिवासी समुदाय के साहस और दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है.

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