मुंबई: हजारों वर्ष पूर्व से ही गुरु-शिष्य के बीच ज्ञान बांटने की परंपरा चली आ रही है. गुरु-शिष्य का रिश्ता बहुत ही पवित्र होता है. यह एक ऐसा रिश्ता है जिससे इंसान अज्ञानता को दूर भागाकर खुद में ज्ञान और समझ का संचार करता है. आज वह दिन है जब शिष्य को अपने गुरु की पूजा करनी चाहिए. गुरु के प्रति आदर-सम्मान और अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.
भारतीय परंपरा के मुताबिक आज के दिन गुरु की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि गुरु की महिमा अपरंपार है. हिन्दू धर्म में गुरु को भगवान से ऊपर दर्जा दिया गया है. इस दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर मंदिर में बैठकर 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये' का का उच्चारण करें.
आज करें ये काम मिलेगा पुण्य-
– साधु, ब्राह्मण एवं पीपल के वृक्ष की पूजा करें.
– पीले रंग के फूलों के पौधे अपने घर में लगाएं और पीला रंग उपहार में दें.
– केले के दो पौधे विष्णु भगवान के मंदिर में लगाएं.
-आज साबूत मूंग मंदिर में दान करें.
– जिस पलंग पर आप सोते हैं, उसके चारों कोनों में सोने की कील अथवा सोने का तार लगाएं.
-भोजन में केसर का प्रयोग करें और स्नान के बाद नाभि तथा मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं.