बीजेपी के वरिष्ठ नेता, पूर्व रक्षामंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar )का निधन हो गया है. 63 साल के पर्रिकर लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे. पर्रिकर को पैंक्रियाटिक कैंसर था. इस भयानक बीमारी से लड़ते-लड़ते पार्रिकर जिंदगी की जंग हार गए. उन्होंने अपने गृहराज्य गोवा में रविवार को आखिरी सांसे ली. पर्रिकर की सादगी, ईमानदारी और मनोहर मुस्कुराहट सभी की दिल में अमिट छाप छोड़ गई है. मनोहर पर्रिकर की शख्सियत ही कुछ ऐसी थी जिससे न सिर्फ गोवा और बीजेपी के लोग बल्कि पूरे देश और विपक्ष के नेता भी उनके मुरीद थे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से देश के रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे मनोहर पर्रिकर की छवि हमेशा सीधे सादे, सामान्य व्यक्ति की रही. पर्रिकर सादा जीवन उच्च विचार की मिसाल थे. साधारण व्यक्तित्व वाले पर्रिकर एक असाधारण व्यक्ति थे. 63 वर्षीय पर्रिकर ने चार बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री के तौर पर तीन वर्ष सेवाएं दीं. देश के लोकप्रिय नेता पर्रीकर कांग्रेस के गढ़ गोवा में बीजेपी के संकटमोचक थे. पार्रिकर ही गोवा में बीजेपी के तारणहार बने.
संघ से की राजनितिक पारी की शुरुआत
एक मध्यमवर्गीय परिवार में 13 दिसंबर 1955 को जन्मे पर्रिकर ने संघ के प्रचारक के रूप में अपनी राजनीति पारी की शुरुआत की. पर्रिकर बहुत छोटी उम्र से आरएसएस से जुड़ गए थे. अपने स्कूल के अंतिम दिनों में ही वे आरएसएस के ‘मुख्य शिक्षक’ बन गए थे. उन्होंने आईआईटी-बॉम्बे से पढ़ाई की. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद भी पर्रिकर ने संघ के लिए अपना काम जारी रखा. यह भी पढ़ें- पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर, जानें इस बीमारी के कारण और शुरुआती लक्षण
आईआईटी ग्रैजुएशन वाले एक मात्र मुख्यमंत्री
1978 में आईआईटी बॉम्बे से मेटलर्जिकल इंजिनियरिंग में ग्रैजुएशन किया. आईआईटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 26 साल की उम्र में मापुसा में संघचालक बन गए. वह किसी आईआईटी से ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद देश के किसी राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले शख्स थे. पर्रिकर पहली बार 1994 में पणजी विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे. इसके बाद वह लगातार चार बार इस सीट से जीतते रहे. इसके पहले गोवा की सियासत में किसी भी नेता ने यह उपलब्धि नहीं हासिल की थी.
गोवा में बीजेपी की जड़े जमाई
पर्रिकर ने चुनावी राजनीति में 1994 में प्रवेश किया, जब उन्होंने पणजी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता. वह जून से नवंबर 1999 तक गोवा विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे और उन्हें तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार के खिलाफ उनके भाषणों के लिए जाना जाता था. वह पहली बार 24 अक्टूबर 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री बने लेकिन उनका कार्यकाल केवल 27 फरवरी 2002 तक ही चला.
जून 2002 में गोवा विधानसभा भंग होने के बाद वहां फिर चुनाव हुए और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. दूसरी छोटी पार्टियों और एक निर्दलीय के सहयोग से पर्रिकर दूसरी बार सीएम बनने में कामयाब रहे. गोवा की राजनीति में बीजेपी की जड़ें जमाने का श्रेय मनोहर पर्रिकर को ही जाता है. चार भाजपा विधायकों के 29 जनवरी, 2005 को सदन से इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई. इसके बाद प्रतापसिंह राणे गोवा के मुख्यमंत्री बने.
बीजेपी के संकटमोचक
पर्रिकर के नेतृत्व वाली बीजेपी को 2007 में दिगम्बर कामत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा. साल 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में उन्होंने 'जनसंपर्क यात्रा' नाम से जनता के बीच बड़ा अभियान चलाया. इसका नतीजा भी दिखा और पर्रिकर राज्य की 40 सीटों में से 21 पर बीजेपी का कमल खिलाने में कामयाब रहे.
पार्रिकर के रहते ही हुई सर्जिकल स्ट्राइक
साल 2014 में मोदी सरकार के नेतृत्व में मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के साथ मनोहर पर्रिकर ने नवंबर 2014 में रक्षा मंत्री का पदभार संभाला. साल 2017 तक पर्रिकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे. गोवा विधानसभा चुनाव में पार्टी के बहुमत हासिल नहीं कर पाने पर वह मार्च 2017 में राज्य लौटे और गोवा फॉरवर्ड पार्टी एवं एमजीपी जैसे दलों को गठबंधन कर राज्य में फिर एक बार फिर अपनी सरकार बनाई. उनके रक्षा मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक की. रक्षा मंत्री रहते हुए मनोहर पर्रिकर सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए बराबर उनके बीच पहुंच जाते थे. राफेल डील भी पार्रिकर के रक्षामंत्री रहते हुई की गई.
फरवरी 2018 से जूझ रहे थे घातक बिमारी से
फरवरी 2018 के बाद से उनकी तबियत खराब रहने लगी. उन्हें तब अग्नाशय संबंधी बीमारी के उपचार के लिए मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया. वह मार्च के पहले सप्ताह में इलाज के लिए अमेरिका गए जहां वह जून तक अस्पताल में रहे. जहां उनकी पैंक्रियाटिक कैंसर की बिमारी सामने आई. कुछ समय के इलाज के बाद पर्रिकर ने बतौर गोवा के सीएम फिर से काम करना शुरू कर दिया और वह 12 दिवसीय विधानसभा सत्र में भी शामिल हुए.
अगस्त के दूसरे सप्ताह में वह फिर से उपचार के लिए अमेरिका गए और कुछ दिनों बाद लौटे. वह फिर से अमेरिका गए और इस बार वहां से लौटने पर उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया. लंबे समय से अपनी बिमारी से लड़ने के बाद अपने डाउना पौला के निजी आवास में उन्होंने आज अंतिम सांस ली.