Gallantry Awards 2023: तीनों सेनाओं के जांबाजों लिए वीरता पुरस्कार का एलान, जानें वीरता पुरस्कार के बारे में सब कुछ
वीरता पुरस्कारों का ऐलान साल में दो बार किया जाता है. पहला गणतंत्र दिवस और दूसरा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इन पुरस्कारों का एलान होता है. इन वीरता पुरस्कारों में सबसे अहम होता है, परमवीर चक्र, जो सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार है. इसके बाद महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र और शौर्य चक्र आते हैं.
Gallantry Awards 2023: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सशस्त्र बलों के कर्मियों और अन्य को 412 वीरता पुरस्कारों और अन्य रक्षा अलंकरणों को मंजूरी दी है. वीरता पुरस्कार (Gallantry Awards) देश की रक्षा में अतुलनीय योगदान देने वाले जवानों और अधिकारियों को दिए जाते है. इस लेख में हम जवानों और अधिकारियों को दिए जाने वाले वीरता पुरस्कार के बारे में जानेंगे. ये भी पढ़ें- Republic Day 2023: कर्तव्य पथ पर नारी शक्ति का दम, यहां देखें 74वें गणतंत्र दिवस परेड की Pics और Videos
कब होता है वीरता पुरस्कारों का एलान
वीरता पुरस्कारों का ऐलान साल में दो बार किया जाता है. पहला गणतंत्र दिवस और दूसरा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इन पुरस्कारों का एलान होता है. इन वीरता पुरस्कारों में सबसे अहम होता है, परमवीर चक्र, जो सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार है. इसके बाद महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र और शौर्य चक्र आते हैं.
वीरता पुरस्कारों की शुरुआत कब हुई
देश को पूर्ण स्वतंत्रता मिलने के बाद से भारत सरकार हर साल जवानों और अधिकारियों को ‘वीरता पुरस्कार’ देती आ रही है. 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इसी तारीख को भारत सरकार ने प्रथम तीन वीरता पुरस्कारों ‘परमवीर चक्र’, ‘महावीर चक्र’ और ‘वीर चक्र’ की घोषणा की. हालांकि इसे 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था. इसके पश्चात् अन्य तीन वीरता पुरस्कार अर्थात् अशोक चक्र श्रेणी-I, अशोक चक्र श्रेणी-II और अशोक चक्र श्रेणी-III को भारत सरकार द्वारा 4 जनवरी, 1952 को प्रारंभ किया गया था जिनको 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था. इन पुरस्कारों का जनवरी 1967 में क्रमशः अशोक चक्र, कीर्ति चक्र तथा शौर्य चक्र के रूप में पुनः नामकरण किया गया था.
वीरता पुरस्कार किसको मिलता है
थल सेना, नौसेना और वायुसेना या किसी भी आरक्षित बल, प्रादेशिक सेना तथा कानूनी रूप से गठित किसी अन्य सशस्त्र बल के सभी रैंकों के सभी अधिकारी इन पुरस्कारों हेतु पात्र हैं. वीरता पुरस्कारों के लिए देश की रक्षा में अतुलनीय योगदान देने वाले जवानों और अधिकारियों के नाम पहले रक्षा मंत्रालय के पास भेजे जाते हैं. रक्षा मंत्रालय में केंद्रीय सम्मान एवं पुरस्कार समिति प्राप्त हुए सभी नामों पर विचार करती है. फिर मानकों के आधार पर यह समिति वीरता पुरस्कारों की लिस्ट तैयार करती है. यह लिस्ट राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है फिर राष्ट्रपति की अनुमति के बाद इन पुरस्कारों की घोषणा की जाती है.
परमवीर चक्र
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य पुरस्कार होता है. यह पुरस्कार युद्ध के दौरान अद्वितीय साहस और असाधारण वीरता के कार्यों को प्रदर्शित करने के लिये दिया जाता है. यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जाता है.
महावीर चक्र
महावीर चक्र भारत का ऐसा पदक है जो युद्ध के समय वीरता दिखाने के लिए दिया जाता है. सेना और असैनिकों को असाधारण वीरता या शौर्यता या बलिदान के लिए यह पदक दिया जाता है. यह पुरस्कार भी मरणोपरांत दिया जा सकता है.
वीर चक्र
यह परमवीर चक्र और महावीर चक्र के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा युद्धकालीन वीरता पुरस्कार है. सैनिकों को असाधारण वीरता या बलिदान के लिए ‘वीर चक्र’ सम्मान दिया जाता है. इस पुरस्कार की शुरुआत भी 26 जनवरी 1950 को परमवीर चक्र और महावीर चक्र के साथ हुई थी. सैनिकों को मरणोपरांत भी यह पुरस्कार दिया जा सकता है.
कीर्ति चक्र
कीर्ति चक्र की शुरुआत शौर्य के कारनामे को सम्मानित करने के लिए 4 जनवरी 1952 को अशोक चक्र श्रेणी-II के रूप में की गई. 27 जनवरी 1967 को इसका नाम बदल कर कीर्ति चक्र कर दिया गया. यह दूसरा सर्वोच्च शांति कालीन वीरता पुरस्कार है और शांति काल में साहसिक कार्रवाई करने या आत्म-बलिदान के लिये दिया जाता है. सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों और अधिकारियों के अलावा यह पुरस्कार टेरिटोरियल आर्मी और आम नागरिकों को भी दिया जाता है.
शौर्य चक्र
इस पदक की शुरुआत 4 जनवरी 1952 को अशोक चक्र श्रेणी-III के रूप में की गई और 27 जनवरी 1967 को इसका नाम बदल कर शौर्य चक्र कर दिया गया. यह पदक शौर्य के कारनामे के लिए प्रदान किया जाता है. वरीयता में यह ‘कीर्ति चक्र’ के बाद का वीरता पदक है. शांति काल के समय सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शौर्य प्रदर्शन के लिए या बलिदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है. मरणोपरांत भी यह पुरस्कार दिया जा सकता है.
अशोक चक्र
इस पदक की शुरुआत 4 जनवरी 1952 को की गई और 27 जनवरी 1967 को इसका नाम बदल दिया गया, यह पदक अदम्य साहस अथवा जांबाजी अथवा बहादुरी के बड़े कारनामे अथवा जान न्योछावर करने को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है.
अन्य पुरस्कार
सेना पदक- यह थलसेना में कर्तव्य के प्रति असाधारण समर्पण या साहस के कार्यों के लिये दिया जाता है.
नौसेना पदक– यह नौसेना में कर्तव्य या साहस के प्रति असाधारण समर्पण के व्यक्तिगत कृत्यों के लिये दिया जाता है.
वायु सेना पदक- यह वायुसेना में कर्तव्य के प्रति असाधारण समर्पण या साहस के व्यक्तिगत कृत्यों के लिये प्रदान किया जाता है.