CJI DY Chandrachud Key Judgments: समलैंगिक विवाह से लेकर आर्टिकल 370 तक, चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ द्वारा सुनाए गए 10 ऐतिहासिक फैसले
मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ ने भारतीय न्यायपालिका में दो साल के कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए. इनमें चुनावी बांड स्कीम का निरस्त होना, समान लिंग विवाह का मामला, और जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 की समाप्ति शामिल हैं. उनके फैसलों ने भारतीय संविधान और नागरिक अधिकारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला.
Chief Justice DY Chandrachud 10 Key Judgments: मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ ने नवंबर 2022 में भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला था. शुक्रवार को उन्होंने अपने दो साल के कार्यकाल का समापन किया, और रविवार को वे सेवानिवृत्त हो जाएंगे, कार्यभार अब न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को सौंपा जाएगा. अपने कार्यकाल के अंतिम दिन उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा देने के मुद्दे पर महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया. यह उनके कार्यकाल के महत्वपूर्ण फैसलों में से एक था, जो भारतीय न्यायपालिका के विकास को दर्शाता है.
आइए जानते हैं मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ के कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में:
1. इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 में लागू किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक और मनमाना घोषित कर दिया. यह योजना राजनीतिक पार्टियों को गुप्त रूप से धन प्राप्त करने की अनुमति देती थी. न्यायालय ने इसे राजनीतिक पार्टियों और दाताओं के बीच पक्षपाती सौदे की संभावना बताया और राज्य बैंक ऑफ इंडिया को चुनावी बॉन्ड्स जारी करने से रोकने का आदेश दिया.
2. प्राइवेट संपत्ति पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने यह निर्णय लिया कि सभी निजी संपत्तियाँ राज्य द्वारा समुदाय के भले के लिए नहीं ली जा सकतीं. यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 31C से संबंधित था, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने वाले कानूनों की रक्षा करता है.
3. आर्टिकल 370 पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में संविधान पीठ ने जम्मू और कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के निर्णय को बरकरार रखा. न्यायालय ने इसे अस्थायी प्रावधान बताते हुए कहा कि यह जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय को सरल बनाने के लिए था. साथ ही राज्य को विशेष दर्जा देने का निर्णय हटाए जाने के बाद, जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्जा शीघ्र दिए जाने का आदेश भी दिया गया.
4. समलैंगिक विवाह पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार किया. अदालत ने इसे संसद के विवेक पर छोड़ दिया, हालांकि सरकार को समलैंगिक जोड़ों के लिए सेवाओं तक पहुँच में आ रही कठिनाइयों को देखते हुए एक समिति गठित करने का आदेश दिया.
5. असम समझौते और नागरिकता पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक संविधान पीठ ने असम समझौते के तहत 1971 से पहले बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के प्रावधान को सही ठहराया.
6. जेलों में जातिवाद पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के नेतृत्व में न्यायालय ने जेलों में जातिवाद पर प्रतिबंध लगा दिया. उन्होंने कहा कि अपराधियों का अधिकार है कि उन्हें सम्मानजनक तरीके से रखा जाए, और जेल मैन्युअल में सुधार करने का आदेश दिया.
7. उत्तर प्रदेश मदरसा कानून पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में मदरसों के संचालन को नियंत्रित करने वाले 2004 के कानून को वैध ठहराया. अदालत ने कहा कि यह कानून राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है और इसे संविधान के विपरीत नहीं माना जा सकता.
8. NEET-UG परीक्षा पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय ने NEET UG परीक्षा के 2024 के लिए पुनः परीक्षा की मांग को अस्वीकार कर दिया, यह कहते हुए कि पेपर लीक की घटना व्यापक नहीं थी और परीक्षा की सत्यता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
9. सांसदों और विधायकों की इम्यूनिटी पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक संविधान पीठ ने निर्णय दिया कि सांसद या विधायक किसी भी रिश्वत लेने के आरोप में अभियोजन से इम्यूनिटी का दावा नहीं कर सकते. इसे लोकतंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना गया.
10. बाल विवाह पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में न्यायालय ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए विभिन्न निर्देश जारी किए. अदालत ने कहा कि बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले दिए, जिनसे भारतीय न्यायपालिका में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं. उनका नेतृत्व भारतीय संविधान के मूल्य और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध रहा और उन्होंने हमेशा न्याय की पक्षधरता में कदम बढ़ाए. उनकी निर्णयों ने न केवल भारतीय न्यायपालिका को सशक्त किया, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया.