श्रीलंका में समुदाय के बीच पहली बार कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप से संक्रमण के मामले आए

श्री जयवर्धनपुरा विश्वविद्यालय में इम्युनोलॉजी एवं मॉलिक्यूलर मेडिसीन विभाग में एलर्जी इम्युनोलॉजी एवं सेल बायोलॉजी इकाई की निदेशक डॉ. चंदिमा जीवंदरा ने बताया कि वायरस का यह स्वरूप कोलंबो के उपनगर देमातागौड़ा के इलाके से लिए गए नमूनों में पाया गया है.

कोरोना वायरस/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

श्री जयवर्धनपुरा विश्वविद्यालय में इम्युनोलॉजी एवं मॉलिक्यूलर मेडिसीन विभाग (Department of Immunology and Molecular Medicine) में एलर्जी इम्युनोलॉजी एवं सेल बायोलॉजी इकाई की निदेशक डॉ. चंदिमा जीवंदरा ने बताया कि वायरस का यह स्वरूप कोलंबो के उपनगर देमातागौड़ा के इलाके से लिए गए नमूनों में पाया गया है. जीवंदरा ने बताया, ‘‘हमने देमातागौड़ा से आठ नमूने लिए थे जिनमें पांच कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप से संक्रमित पाए गए हैं. अलग-अलग पीसीआर जांच किट के जरिए हम वायरस के अलग-अलग स्वरूपों पर लगातार नजर रखते हैं.’’

यह पहली बार है जब समुदाय में कोरोना वायरस का यह स्वरूप मिला है, इससे पहले दो लोग डेल्टा स्वरूप से संक्रमित पाए गए थे लेकिन वे एक पृथक-वास केंद्र में थे. विश्वविद्यालय की एक पहले की रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में पाए जा रहे अल्फा स्वरूप के मुकाबले डेल्टा स्वरूप 50 फीसदी अधिक संक्रामक है और यह अधिक गंभीर रोग करने में सक्षम है तथा टीके की एक खुराक इस पर बेअसर हो सकती है. यह भी पढ़ें : COVID 3rd Wave: ब्रिटेन, रूस में फिर तेजी से पांव पसार रहा कोरोना वायरस, भारत के लिए भी बजी खतरे की घंटी

डेल्टा स्वरूप की सबसे पहले पहचान भारत में हुई थी, इसे कोरोना वायरस का अत्यधिक संक्रामक स्वरूप माना जाता है. श्रीलंका में अप्रैल माह से ही संक्रमण के मामलों तथा मरने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है. यहां अब तक संक्रमण के कुल 2,30,692 मामले हैं तथा 2,374 लोगों की मौत हो चुकी है.

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