Budget 2019: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वे, जानें बड़ी बातें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वे (Photo Credit- ANI)

Economic Survey 2019: मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार 5 जुलाई को पेश करने वाली है. इससे पहले गुरुवार को सरकार ने संसद में आर्थिक सर्वे पेश किया. राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने यह सर्वे पेश किया. सर्वे के अनुसार, 2019-2020 में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी तक रह सकती है. बता दें कि पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत पर थी. सर्वे में कहा गया है कि साल 2025 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को आठ फीसदी की वृद्धि दर बरकरार रखनी होगी.

आर्थिक सर्वेक्षण के तहत कहा गया है कि सरकार का जोर इस बात पर है कि कैसे वित्तीय घाटे को कम किया जाए. वित्तवर्ष 2019 के दौरान सामान्य वित्तीय घाटा 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है. जबकि वित्तवर्ष 2018 के दौरान 6.4 फीसदी था. इसके अलावा कहा गया कि आर्थिक सर्वे 2018-19 के अनुसार वर्ष 2019-20 के दौरान तेल की कीमतों में गिरावट की संभावना है.

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आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि देश में पर्याप्त रूप से विदेशी मुद्रा भंडार है और आगे भी इसमें कमी नहीं आएगी. 14 जून तक देश में कुल 42220 करोड़ डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद था. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति उपायों से लोन के ब्याज दरों में कटौती करने में मदद मिलेगी.

आर्थ‍िक सर्वे में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में कमी आ रही है, जिसकी वजह से इस वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है.

इसी तरह निवेश दर में जो कमी आ रही थी, वह भी अब लगता है कि रुक जाएगी. जनवरी से मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में गिरावट पर आर्थ‍िक सर्वे में कहा गया है कि यह चुनाव संबंधी अनिश्चितता की वजह से था.

सर्वे के अनुसार पिछले पांच साल में जीडीपी ग्रोथ औसतन 7.5 फीसदी रहा है. आर्थ‍िक सर्वे में कहा गया है कि बैंकों के गैर निष्पादित परिसंपत्त‍ि (NPA) में कमी आने की वजह से पूंजीगत व्यय चक्र को बढ़ाने में मदद मिलेगी. लगातार एनपीए में कमी आ रही है, जिसका फायदा अर्थव्यवस्था को मिलेगा. सर्वे में कहा गया कि स्थ‍िर वृहद आर्थिक दशाओं की वजह से इस साल अर्थव्यवस्था में स्थिरता रहेगी. साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर ग्रोथ में कमी आई तो राजस्व संग्रह पर इसका असर पड़ सकता है.