VIDEO: 'पेड़ हमारे मां बाप है और अगर आप हमारे माता पिता पर हमला करेंगे तो हम नहीं सहेंगे.. नाशिक के तपोभूमि में जंगल काटने के विरोध में उतरे एक्टर सयाजी शिंदे
नाशिक के तपोवन में कुंभ के लिए साधुग्राम के लिए 1800 से ज्यादा पेड़ कटाई होनेवाली है.जिसके विरोध में नाशिक के लोग एकसाथ आएं है और इनका साथ देने के लिए एक्टर सयाजी शिंदे भी आएं.
Nashik News: नाशिक (Nashik) के तपोवन में कुंभ मेले के लिए–साधुग्राम बनाया जाएगा. जिसके लिए क्षेत्र में 1,825 पेड़ों की प्रस्तावित कटाई (Tree Cutting) को लेकर नागरिकों में भारी असंतोष है.इसी आंदोलन को मजबूती देने के लिए प्रसिद्ध अभिनेता और सह्याद्री देवराई संगठन (Sahyadri Devrai Sanghatana) के अध्यक्ष सयाजी शिंदे (Sayaji Shinde) भी तपोवन पहुंचे और सरकार पर निशाना साधा. इस दौरान सयाजी शिंदे ने कहा की पेड़ हमारे माता–पिता (Parents) हैं. यदि इन पर हाथ उठाया गया, तो हम चुप नहीं बैठेंगे.
नाशिक की पहचान इन्हीं पेड़ों से है, एक भी पेड़ कटने नहीं देंगे. इसका वीडियो सोशल मीडिया X पर @ThePuneMirror नाम के हैंडल से शेयर किया गया है. ये भी पढ़े:Sayaji Shinde Joins NCP: राजनीति में उतरे मशहूर फिल्म अभिनेता सयाजी शिंदे, अजित पवार की मौजूदगी में एनसीपी में शामिल, देखें VIDEO
एक्टर सयाजी शिंदे ने किया पेड़ों को काटने का विरोध
सयाजी शिंदे समेत कई सामाजिक संघटनों का पेड़ों को काटने का विरोध
इस दौरान सयाजी शिंदे (Sayaji Shinde) ने कहा की ,' उन्होंने कहा की नाशिक के लोग जो पेड़ों को बचाने के काम कर रहे है, उनको सपोर्ट देने के वे यहां आएं है. उन्होंने कहा की तुकाराम महाराज, ज्ञानेश्वर महाराज, छत्रपति महाराज ने पेड़ों को लेकर जो कहा है,' मैं उसी को फॉलो करता हूं. उन्होंने कहा की पेड़ हमारे मां बाप है और अगर आप हमारे माता पिता पर हमला करेंगे तो हम सहन नहीं करेंगे. उन्होंने कहा की ,' पेड़ बचेंगे तो हम बचेंगे. उन्होंने कहा की ,' सीएम से मिलने क्या जरुरत है, यहांपर पेड़ हम नहीं काटने देंगे, यही काफी है. उन्होंने गिरीश महाजन की बात पर जवाब देते हुए कहा की ,' जहां खाली जगह है, वहांपर साधुग्राम बनाया जाएं.
राज ठाकरे भी कर चुके है विरोध
बता दें की तपोवन में पेड़ों को काटने को कई सामजिक संघटन भी आगे आएं है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) भी इस मुद्दे को लेकर आक्रामक भूमिका में है. अब देखना होगा की मौजूदा सरकार नाशिक के लोगों के आंदोलन पर क्या फैसला लेती है.