Farmers Protest: कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठन और सरकार के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता हुई. वार्ता से पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि आज की बैठक में हल जरूर निकलेगा. लेकिन सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की वार्ता में भी बात नहीं बनी. अब नौवें दौर की वार्ता 15 जनवरी को होगी. हालांकि सरकार की तरफ से बैठक में किसानों को मनाने को लेकर बहुत कोशिश हुई कि वे अपना आंदोलन खत्म करे सरकार कानून में संशोधन करने को तैयार हैं. लेकिन वे कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े रहे.
मीडिया के बातचीत में किसान नेताओं ने कहा सरकार के साथ उनकी बातचीत शुरुवर को जरूर हुई. लेकिन बातचीत में सरकार की तरफ से कहा गया कि वह कानून में संशोधन करने को तैयार है. जिस पर उनकी तरफ से साफ़ शब्दों में कहा कि उन्हें कानून में संशोधन नहीं बल्कि पूरे कानून को ही रद्द किया जाए. जिस पर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बढ़ गया और बैठक में बीच में रद्द कर दिया गया. अब अगली दौर की बैठक 15 जनवरी को बुलाई गई हैं. यह भी पढ़े: Farmers Protest: प्रियंका गांधी ने भाजपा पर साधा निशाना, कहा-यूपी में सरकारी गड़बड़ी की वजह से 7.5 लाख से अधिक किसानों को ‘सम्मान निधि’ नहीं मिली
15 जनवरी को सरकार द्वारा फिर से बैठक बुलाई गई है। सरकार क़ानूनों में संशोधन की बात कर रही है, परन्तु हम क़ानून वापिस लेने के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे : किसान नेता, सरकार के साथ मुलाकात के बाद #FarmersProtest pic.twitter.com/4NQTDvmmul
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 8, 2021
वहीं बैठक खत्म होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendra Singh Tomar) ने मीडिया के बातचीत में कहा कि आज किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि क़ानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला. सरकार की तरफ से कहा गया कि क़ानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, परन्तु कोई विकल्प नहीं मिला. जो अब किसान यूनियन और सरकार दोनों ने 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है. मुझे आशा है कि 15 जनवरी को कोई समाधान जरूर निकलेगा.
किसान यूनियन और सरकार दोनों ने 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है। मुझे आशा है कि 15 जनवरी को कोई समाधान निकलेगा : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर https://t.co/Wnld03XRbh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 8, 2021
बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच 7 बार वार्ता हो चुकी हैं. सात बार के वार्ता में सरकार ने उनकी चार मांगों में दो मांगे बिजली के प्रस्तावित बिल को वापिस लेने के साथ ही पराली के मामले में अध्यादेश सरकार की तरफ से जो जारी किया था, उसे भी वापिस लेंने को लेकर राजी हो गई है. लेकिन दो मांगे एमएसपी को जारी रखने और कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग पर बातचीत चल रही हैं.