प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी लंबे समय से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं. सितंबर 2014 में केंद्र सरकार ने EPFO द्वारा चलाई जाने वाली संचालित कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के लिए न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये तय की थी. ईपीएफ (EPF) के तहत, कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत प्रोविडेंट फंड में जमा करते हैं, जबकि कंपनियों को भी इतना ही अमाउंट जमा करना होता है. कर्मचारी द्वारा जमा की गई रकम में से 8.33 प्रतिशत हिस्सा ईपीएस में और 3.67 प्रतिशत राशि ईपीएफ खाते में जमा की जाती है.
क्या मानी जाएगी EPFO सदस्यों की मांग?
रिपोर्ट के मुताबिक बजट 2025 से पहले, ईपीएस-95 सेवानिवृत्त कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये प्रति माह करने के साथ-साथ उनके जीवनसाथी के लिए मुफ्त चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान और महंगाई भत्ता (DA) जोड़ने की भी मांग की है. सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने ईपीएस-95 के तहत न्यूनतम पेंशन और अन्य मांगों पर समय पर कार्रवाई करने का वादा किया है.
EPFO सदस्यों को जल्द ही मिलेगी खुशखबरी
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पीएफ (PF) जमा पर ब्याज दरें तय करने के लिए ईपीएफओ के केंद्रीय बोर्ड (सीबीटी) की बैठक 28 फरवरी 2025 को होने वाली है, जिसमें ब्याज दरों पर चर्चा होगी और संभावित पेंशन वृद्धि का मुद्दा भी इस बैठक में उठाया जा सकता है. सरकार ईपीएफओ खाताधारकों के लिए भी एक स्थिर ब्याज दर लागू करने पर विचार कर रही है, ताकि बाजार में होनेवाले उतार-चढ़ाव के बावजूद भी EPFO के सदस्यों को निश्चित रिटर्न मिल सके.
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