लखनऊ, 13 जुलाई: उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा का शैक्षिक कैलेंडर जारी कर दिया है. कोरोना आपदा के कारण विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के नए सत्र की कक्षाएं चार अगस्त से ऑनलाइन चलेंगी. राज्य विश्वविद्यालयों को 31 जुलाई तक ई-कन्टेंट तैयार करने को कहा गया है. हांलाकि प्रथम वर्ष यानी नए एडमिशन वाले छात्रों की कक्षाएं अक्टूबर एक अक्टूबर से शुरू होंगीं. दरअसल उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नए सत्र 2021-21 के लिए जारी शैक्षिक कैलेंडर में कहा गया है कि स्थिति बेहतर होने पर एक अक्टूबर से परिसर में पूर्व की भांति कक्षाएं चलाई जाएंगी.
राज्य विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वे 13 जुलाई से सभी विषयों के ई-कन्टेंट तैयार कराना प्रारम्भ कर दें और 31 जुलाई तक इस कार्य को पूर्ण करा लें. इसके लिए शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को विश्वविद्यालय व महाविद्यालय परिसर में बुलाया भी जा सकता है. शासन ने विश्वविद्यालयों से कहा है कि कुलपति, डीन व विभागाध्यक्ष तैयार हो रहे ई-कन्टेंट की लगातार समीक्षा भी करें. शैक्षिक कैलेंडर के अनुसार प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में स्नातक व स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष को छोड़कर अन्य की ऑनलाइन कक्षाएं चार अगस्त से शुरू हो जाएंगी. वहीं प्रथम वर्ष में नया प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की कक्षाएं पहली अक्तूबर से प्रारम्भ होंगी.
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उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव मनोज कुमार की ओर से जारी इस शैक्षिक कैलेंडर में स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेश की अंतिम तिथि 15 सितंबर और स्नातकोत्तर पूर्वाद्ध में प्रवेश की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर निर्धारित की गई है. प्रवेश की पूरी प्रक्रिया क ऑनलाइन संपन्न कराने को कहा गया है. प्रवेश के बाद स्नातक प्रथम वर्ष का शिक्षण कार्य एक अक्तूबर से और स्नातकोत्तर पूर्वाद्ध की कक्षाएं पहली नवंबर से प्रारम्भ होंगी.
परीक्षाओं के संबंध में कहा गया है कि पांच दिसंबर तक मिड टर्म-बैकपेपर की परीक्षा संपन्न होगी. स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की सेमेस्टर परीक्षा की अंतिम तिथि 15 मार्च 2021 तय की गई है, जबकि स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की वार्षिक परीक्षाएं कराने के लिए एक मई से 15 जून 2021 तक निर्धारित किया गया है. इसी तरह सम सेमेस्टर के लिए मिड टर्म परीक्षाएं 30 अप्रैल तक संपन्न होंगी. परास्नातक की सम सेमेस्टर की परीक्षाएं 30 जून तक होंगी. वहीं वार्षिक परीक्षाओं का परिणाम 15 जून तक घोषित कर दिया जाएगा.
राज्य विश्वविद्यालयों को यह भी निर्देश दिये गये हैं कि कोरोना संकट के चलते यदि परीक्षाएं न संपन्न हो सकें तो ऐसी पद्धति विकसित की जाये ताकि इस विषम परिस्थिति में विद्यार्थियों को पास कर अगली कक्षा में प्रवेश दिया जा सके. इसके लिए अब साल भर सत्र मूल्यांकन का कार्य भी होगा. उसी के आधार पर विषम परिस्थिति में विद्यार्थियों को उत्तीर्ण किया जाएगा.