नई दिल्ली, 24 सितम्बर: शिक्षा मंत्रालय डिजिटल शिक्षा को मजबूत करने के लिए एक रोड मैप तैयार करेगा. छात्रों के बीच डिजिटल अंतर को कम करने के लिए डिजिटल शिक्षा ढांचे का नया पैटर्न क्षेत्रीय भाषाओं पर भी आधारित होगा. इसका उद्देश्य डिजिटल शिक्षा में अधिक से अधिक समावेश लाना और डिजिटल विषमता को पाटते हुए वंचितों तक पहुंचना है. दरअसल शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि डिजिटल शिक्षा के साथ साथ देश की एकता और अखंडता के लिए भारतीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है. यह भी पढ़े: UGC : CBSE के नए पाठ्यक्रम को मान्यता दें विश्वविद्यालय
इसी को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा समग्र शैक्षिक विकास के लिए भारतीय भाषाओं के सु²ढ़ीकरण का प्रयास किया जा रहा है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में डिजिटल शिक्षा के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सार्वभौमिकरण के विषय पर एक अहम बैठक की गई है. बैठक में मुख्य रूप से एक एकीकृत डिजिटल इको सिस्टम विकसित करने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी और इंटरनेट का लाभ उठाने पर चर्चा की गयी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास और शिक्षक प्रशिक्षण के सभी पहलुओं को शामिल करने के लिए मौजूदा मंचों का और विस्तार करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की खातिर एक अभिनव दृष्टिकोण की बात कही है.
वहीं केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने आत्मनिर्भर भारत से संबंधित प्रधानमंत्री के ²ष्टिकोण के बारे में यूजीसी व अन्य अधिकारियों से चर्चा की है. शिक्षा राज्य मंत्री का कहना है कि देश की एकता और अखंडता के लिए भारतीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है. उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारतीय भाषाओं की ओर उचित ध्यान नहीं दिया गया है और उनकी देखभाल सही तरीके से नहीं की गई है.शिक्षा राज्य मंत्री के मुताबिक देश ने पिछले 50 वर्षों में 220 से अधिक भाषाओं को खो दिया है. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय भाषाओं के पठन और पाठन को हर स्तर पर स्कूली और उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने की जरूरत है. उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने मातृभाषा में सीखने के लाभों जैसे कि आलोचनात्मक सोच विकसित करने, ज्ञान प्रणाली की बेहतर समझ का निर्माण करने की बात कही है.