शराब पीकर नशे की हालत में पहुंचे बिहार तो पुलिस करेगी कार्रवाई: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि बिहार के मद्यनिषेध कानून में निजी वाहन को सार्वजनिक स्थल के रूप में परिभाषित किया गया है और यदि कोई व्यक्ति नशे की हालत में यात्रा कर रहा है तो पुलिस को उस पर कार्रवाई करने का हक है. न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की खंडपीठ ने कुछ लोगों की अपील पर फैसला करते हुए यह टिप्पणी की.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि बिहार (Bihar) के मद्यनिषेध कानून में निजी वाहन को सार्वजनिक स्थल के रूप में परिभाषित किया गया है और यदि कोई व्यक्ति नशे की हालत में यात्रा कर रहा है तो पुलिस को उस पर कार्रवाई करने का हक है. न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की खंडपीठ ने कुछ लोगों की अपील पर फैसला करते हुए यह टिप्पणी की. ये लोग 25 जून, 2016 को शराब (Liquor) पीने के बाद पटना (Patna) से झारखंड के गिरीडीह जा रहे थे. बिहार के नवादा (Nawada) जिले में एक पुलिस चौकी पर उनका वाहन नियमित चेकिंग के तहत रोका गया और जांच में पाया गया कि ये नशे में थे. वैसे वाहन में शराब की कोई बोतल नहीं थी. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. वे दो दिन तक हिरासत में रहे.
उन लोगों ने पटना हाई कोर्ट के 16 फरवरी, 2018 के फैसले को चुनौती दी थी. पटना हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को दरकिनार करने की मांग संबंधी उनकी अर्जी खारिज कर दी थी. मजिस्ट्रेट ने उनकी इस हरकत (शराब पीकर सफर करने को) बिहार आबकारी (संशोधन) अधिनियम, 2016 के तहत दंडनीय अपराध के रूप में संज्ञान लिया था. यह भी पढ़ें- बिहार: नालंदा के अस्पताल से बच्चा चोरी होने के बाद परिजनों ने किया जमकर हंगामा, देखें Video
बता दें कि साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में शराबबंदी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव लड़ा था. सरकार बनी, तो अप्रैल 2016 में प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई थी. सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि 9 जुलाई 2015 को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में महिलाओं के एक सम्मेलन में उनकी मांग पर ही हमने शराबबंदी लागू की थी.
भाषा इनपुट