नए नहीं हैं डिटेंशन सेंटर, एनआरसी से न जोड़ा जाए: सरकार

हिरासत केंद्रों (डिटेंशन सेंटर) को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए सरकार ने गुरुवार को कहा कि कई राज्यों में ये केंद्र कई दशकों से हैं और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) के साथ इन्हें किसी भी प्रकार से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: IANS)

हिरासत केंद्रों (डिटेंशन सेंटर) को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए सरकार ने गुरुवार को कहा कि कई राज्यों में ये केंद्र कई दशकों से हैं और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) के साथ इन्हें किसी भी प्रकार से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इन डिटेंशन सेंटरों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है, जिसमें विपक्षी दलों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार कथित तौर पर एनआरसी से बाहर किए जाने की स्थिति में लोगों को यहां रखेगी.

डिटेंशन सेंटर्स के मुद्दे पर सामने आई घटनाओं की विशेषताओं और अनुक्रम को सूचीबद्ध करते हुए एक सरकारी बयान जारी किया गया है. इस साल जनवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने डिटेंशन सेंटर/हॉलडिंग सेंटर/कैंप मैनुअल का एक मॉडल तैयार और सर्कुलेट किया था.

यह भी पढ़ें- Bharat Bandh: नागरिकता कानून, एनआरसी और NPR के खिलाफ 7 दिनों तक प्रदर्शन करेगी लेफ्ट, 8 जनवरी को भारत बंद का ऐलान

गुवाहाटी स्थित कोलैबोरेटिव नेटवर्क फॉर रिसर्च एंड कैपेसिटी बिल्डिंग द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के 20 अगस्त 2018 के आदेश अनुसार, तैयार किए गए मैनुअल में बताया गया है कि डिटेंशन सेंटर ऐसे कारावास हैं, जहां विदेशी नागरिकों को संबंधित सरकारों द्वारा आवश्यक सत्यापन करने और यात्रा दस्तावेज जारी करने के बाद उन्हें निर्वासित करने के लिए रखा जाता है.

फॉरेनर्स एक्ट 1946, केंद्र सरकार को किसी विदेशी व्यक्ति के आने-जाने पर प्रतिबंध लगाने और व्यक्ति को किसी विशेष स्थान पर रहने के लिए बाध्य करने का अधिकार देता है.

Share Now

\