दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट कुरिकुलम के तहत आज ‘गूंज‘ एनजीओ के संस्थापक अंशु गुप्ता ने बच्चों से संवाद किया. मैगसेसे सम्मान प्राप्त श्री गुप्ता ने बच्चों को अपने सपने पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि नींद वाले सपने अलग होते हैं, लेकिन आपको सफल होना है तो जागते हुए सपने देखने होंगे, क्योंकि उस पर आपको काम करना है. सोशल उद्यमी श्री गुप्ता ने कहा कि आपको कहीं कचरा गिरा हुआ दिखे या पुराने कपड़ों का ढेर हो, तो उसे समस्या नहीं बल्कि अवसर समझें और समाधान ढूंढें. आज हमलोग हर साल 6000 टन पुराना मैटेरियल हैंडिल कर रहे हैं. इनमें पुराने कपड़े, चादरें, फर्नीचर जैसी चीजें होती हैं जिन्हें हम नई मुद्रा में बदल दिया है. यह उद्यमिता वाली सोच है जो आपको सीखनी चाहिए. श्री गुप्ता ने कहा कि सेकेंड हैंड मैटेरियल को इतनी बड़ी करेंसी में कन्वर्ट करने में मुझे गांवों से मिली शिक्षा काफी काम आई.
श्री गुप्ता ने कहा कि हमें सिर्फ किताबों तक सीमित रहने के बजाय समाज से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह 1990 में जनसंचार की पढ़ाई के लिए दिल्ली आए. उस दौरान उत्तरकाशी में भूकंप आने पर वहां जाकर पीड़ितों की मदद की. उस दौरान मेरी गांव वालों को लेकर धारणा बदली. इसके बाद समाज में लोगों की मदद का बीड़ा उठा लिया. गूंज जैसी संस्था बनने में इसकी बड़ी भूमिका रही. श्री गुप्ता ने बच्चों से संवाद करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की इस बात पर सहमति जताई कि हमें अपने काम में आनंद आना सबसे जरूरी है. श्री गुप्ता ने कहा कि हम काफी दुखी लोगों की पीड़ा से जुड़ते हैं और लोगों के दुख से हम काफी विचलित भी होते हैं. इसके बावजूद यह सोचकर चैन की नींद सोते हैं कि आज कुछ अच्छा किया. उन्होंने कहा कि हमें दूसरों की पीड़ा से जुड़ने का कीड़ा लग गया है और सबकी मदद करने में ही हमें आनंद आता है. इस संदर्भ में श्री गुप्ता ने अपनी एक कविता भी सुनाई- ‘बस चढ़ा ही रहा था एक और चादर मजार पर, कि नजर बाहर कांपते फकीर पर पड़ गई. यह भी पढ़े: राजधानी दिल्ली में अभी नहीं खुलेंगे स्कूल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा- कोरोना से बच्चों की सुरक्षा जरूरी
श्री गुप्ता ने दिल्ली की शिक्षा क्रांति की सराहना करते हुए सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा को जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि दिल्ली में हुए काम के कारण ही जब मुझे बच्चों से इस बातचीत का आमंत्रण मिला तो काफी अच्छा लगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट देखकर काफी गर्व होता है. श्री गुप्ता ने बताया कि एक ईमानदार सरकारी अधिकारी होने के कारण उनके पिता का बार-बार सुदूर इलाकों में तबादला होता रहता था. इसके कारण उन्हें बारहवीं कक्षा तक सात बार स्कूल बदलने पड़े. उन स्कूलों में सुविधाएं भी नहीं होती थीं. श्री गुप्ता ने कहा कि मेरे माता-पिता ने सिखाया था कि जहां खाना, वहां रहना, वहां पढ़ना. इससे मुझे अपनी शिक्षा में आगे बढ़ने में काफी मदद मिली. श्री गुप्ता ने कहा कि आज मुझे सोशल एंटरप्रेन्योर कहा जाता है. लेकिन पहले तो मुझे यह भी नहीं मालूम था कि एंटरप्रेन्योर में कितने ‘ई‘ होते हैं. मैंने यह सब एक एंटरप्रेन्योर बनने के लिए नहीं किया बल्कि मैंने समाज की पीड़ा देखी तो एक कीड़ा उठा था कि समाज का काम करना है. यह भी पढ़े: दिल्ली सरकार के काॅलेजों में बढ़ी 1330 सीटें, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा- यह पांच-छह नए काॅलेज खोलने के बराबर
संवाद के दौरान श्री गुप्ता ने बच्चों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि सामाजिक जीवन में काम करने वालों को अपने मन से डर को निकालना पड़ता है. उन्होंने कहा कि दुआओं में बहुत दम है और दूसरों के लिए काम करने पर आपकी सबसे बड़ी पूंजी लोगों से मिली दुआएं और मुहब्बत है. उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि अब तक हमने बड़े उद्यमियों से संवाद किया है. लेकिन आज हमारे बच्चे उस व्यक्ति से संवाद कर रहे हैं जो लाखों लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रहे हैं. उन्होंने कहा कि अपने लिए तो सभी लोग काम करते हैं, लेकिन अंशु गुप्ता ने दूसरों की पीड़ा समझकर उनके लिए अपना जीवन समर्पित किया है. इसीलिए उन्हें दुनिया का प्रतिष्ठित ‘रमन मैगसेसे सम्मान‘ मिला, जिसे एशियाई देशों का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है. श्री सिसोदिया ने कहा अंशु गुप्ता किसी पैकेज या खुद के लिए काम नहीं कर रहे बल्कि अपने काम का आनंद ले रहे हैं. दूसरों की मदद करने में आनंद मिलता है. हमारे ईएमसी कोर्स का मकसद यही है कि बच्चों को अपने काम में आनंद लेने योग्य बना सकें. यह भी पढ़े: Delhi School Reopening Updates: दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का ऐलान, सरकारी और प्राइवेट स्कूल अगले आदेश तक बंद
श्री सिसोदिया ने इस संवाद को बच्चों के लिए काफी उपयोगी बताया. उन्होंने अंशु गुप्ता की तुलना फिल्म ‘थ्री इडियट‘ के रैंचो (आमिर खान) से की. श्री सिसोदिया ने कहा कि आमिर खान ने रैंचो के रूप में शिक्षा के उपयोग का एक अलग रूप प्रस्तुत किया. जबकि चतुर नामक छात्र भी काफी प्रतिभावान होने के बावजूद एक दायरे में सीमित रह गया. श्री सिसोदिया ने कहा कि हम ईएमसी के माध्यम से बच्चों के भीतर ज्ञान को एक नए नजरिये से देखने की समझ विकसित कर रहे हैं. इस एंटरप्रेन्योर इंट्रेक्शन (उद्यमी से संवाद) का आयोजन एससीईआरटी, दिल्ली ने किया. लाॅकडाउन के बावजूद दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आॅनलाइन तरीके से उद्यमी संवाद कार्यक्रम जारी है. लाॅकडाउन के दौरान आज यह ग्यारहवां संवाद कार्यक्रम था. इस उद्यमिता पाठ्यक्रम (ईएमसी) के जरिए नवीं से बारहवीं तक के बच्चों के भीतर एक नई समझ पैदा करने की कोशिश की जा रही है. यह भी पढ़े: Vijayadashami 2020: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर मनाया गया प्रतीकात्मक विजय दशमी का पर्व
श्री सिसोदिया ने बताया कि अंशु गुप्ता ने बाढ़, भूकंप जैसी आपदाओं के वक्त अपनी संस्था ‘गूंज‘ के माध्यम से पीड़ितों की काफी मदद की है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में बिहार में बाढ़ के वक्त अरविंद केजरीवाल जी के साथ जाने पर अंशु गुप्ता को बाढ़ पीड़ितों की मदद करते हुए देखकर अच्छा लगा था. श्री सिसोदिया ने कहा कि उस मुलाकात के वक्त से ही वह अंशु गुप्ता की जनसेवा भावना से काफी प्रभावित हुए. यही कारण है कि इस बार बच्चों से संवाद के लिए अंशु गुप्ता को आमंत्रित किया गया ताकि बच्चों को सामाजिक उद्यमिता की जानकारी मिल सके.