दिल्ली का पहला स्कूल जो ड्रॉप-आउट छात्राओं को कर रहा है शिक्षित
सीखना एक सतत प्रक्रिया है और सच्चा शिक्षार्थी किसी से भी और सभी से सीखने के रास्ते तलाशता है. उन्होंने कहा कि जीवन के हर चरण में सीखना संभव है - यह बात श्री सतीश उपाध्याय, उपाध्यक्ष - नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने आज के दौरा करने के बाद कही.
नई दिल्ली, 4 मई : सीखना एक सतत प्रक्रिया है और सच्चा शिक्षार्थी किसी से भी और सभी से सीखने के रास्ते तलाशता है. उन्होंने कहा कि जीवन के हर चरण में सीखना संभव है - यह बात श्री सतीश उपाध्याय, उपाध्यक्ष - नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) ने आज के दौरा करने के बाद कही. दिल्ली के पूर्वी किदवई नगर में स्थित 'डे-टाइम सेकेंडरी स्कूल' दिल्ली का पहला स्कूल है जो किसी भी कक्षा की ड्राप-आउट छात्राओं को फिर से शिक्षा देने की सुविधा प्रदान कर रहा है. यहा पढ़ने के लिए ऐसी भी महिलाएं आ रही हैं जिनके बच्चे कॉलेज जा रहे हैं. ऐसी कई महिलाएं यहां कक्षा दूसरी और पांचवी में इस से अपनी शिक्षा ले रही हैं.
देश में राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 लागू की जा रही है. इसका उद्देश्य शिक्षा को सार्वभौमिक बनाना और देश को शिक्षित करके रोजगार उन्मुख करना है. साथ ही भारत की आजादी के 75 साल को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है और इसी के तहत नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) का यह एक कार्य है. यह स्कूल एक मिथक भी तोड़ रहा है कि केवल बच्चे ही पढ़ सकते हैं. यह स्कूल बताता है कि लोग किसी भी उम्र में शिक्षित हो सकते हैं. यह भी पढ़ें : बैटरी स्टोरेज के लिये नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल के नये तरीकों की जरूरत : गडकरी
डे-टाइम सेकेंडरी स्कूल किदवई नगर (पूर्व) डे टाइम मिडिल स्कूल वर्ष 1990-91 में पूर्व किदवई नगर में वयस्क महिलाओं के लिए शुरू किया गया था. एनडीएमसी स्कूल पूर्वी किदवई नगर स्कूल का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों से संबंधित ड्रॉप-आउट लड़कियों के लिए शैक्षिक सुविधाएं प्रदान करना है, खासकर जो पारिवारिक परिस्थितियों के कारण अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं.
एनडीएमसी उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि हमारे समाज के लिए महिलाओं को शिक्षित करना बहुत जरूरी है, क्योंकि महिलाओं को शिक्षित करने से आत्म सम्मान को बढ़ावा मिलता है और महिलाओं की स्थिति को ऊपर उठाने में भी मदद मिलती है. शिक्षित महिला अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होगी. वह घरेलू हिंसा, दहेज की मांग, कम मजदूरी आदि जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ सकती है.
महिलाओं को शिक्षित करने के लिए इस स्कूल की शुरूआत की गई है ताकि वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें . सत्र 1994-95 से स्कूल को दसवीं कक्षा में अपग्रेड किया गया था. उपाध्याय ने बताया कि वर्ष 2022 में विद्यालय में नामांकित विद्यार्थियों की कुल संख्या 242 है और इस विद्यालय में वर्ष 2021 में कक्षा 10 का परिणाम शत-प्रतिशत रहा है. दिनांक 30 अप्रैल, 2022 तक कक्षावार नामांकन के अनुसार, 66 छात्र 15 से 20 वर्ष के आयु वर्ग में पढ़ रहे हैं, जबकि 3 छात्र 20 से अधिक आयु वर्ग में पढ़ रहे हैं.