दिल्ली हिंसा पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, अभी सेना की तैनाती से ज्यादा जरुरी दोषियों पर कार्रवाई है- गृह मंत्रालय से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार से उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई हिस्सों में हो रही हिंसा के संबंध में पुलिस और गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया है. मामलें की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि देश में एक और 1984 नहीं होने दे सकते है.

दिल्ली हाई कोर्ट (File Photo: IANS)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार से उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई हिस्सों में हो रही हिंसा के संबंध में पुलिस और गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया है. मामलें की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि देश में एक और 1984 नहीं होने दे सकते है. साथ ही कोर्ट ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में सेना की तैनाती को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है. हालांकि कोर्ट ने हिंसा के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए है. अब इस मामलें की गुरुवार को सुनवाई होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को गुनाहगारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के संबंध में सचेत निर्णय लेने का निर्देश दिया है. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था कायम करने का निर्देश देते हुए कोर्ट ने सेना की तैनाती से ज्यादा महत्वपूर्ण दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने को बताया है. साथ ही सुनवाई स्थगित करते हुए दिल्ली पुलिस को कल रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. गौरतलब है कि इस हिंसा में अब तक 22 लोगों की मौत हो गई है और लगभग 200 लोग घायल हुए हैं. पीएम मोदी ने की जनता से की अपील, ट्वीट कर कहा- शांति का बहाल होना अहम

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा पर ‘पेशेवर’ तरीके से रोक लगाने में विफल रहने के लिये पुलिस को फटकारा. हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने नए संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दे पर हुए दंगों से संबंधित याचिकाओं पर विचार करने से मना कर दिया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई भड़काऊ बयान देता है तो पुलिस को कार्रवाई करनी है.

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा कि हिंसा से जुड़़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा “पुलिस की तरफ से पेशेवराना अंदाज का अभाव था. जब तक आप पुलिस को काम करने की अनुमति नहीं देंगे. देखें ब्रिटेन और अमेरिका की पुलिस कैसे काम करती है. क्या कानून के अनुसार उन्हें किसी की अनुमति की जरूरत होती है. अगर कोई भड़काऊ बयान देता है तो पुलिस को कार्रवाई करनी है. प्रकाश सिंह मामले में सुनाए गए फैसले में दिये गए दिशा-निर्देशों का पालन करना है.”

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