Delhi Pollution: आर्टिफिशियल बारिश से कम होगा दिल्ली का प्रदूषण? जहरीली हवा से बचने के लिए कितना काम आएगा ये तरीका
देश की राजधानी नई दिल्ली में हवा लगातार जहरीली बनी हुई है. दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार गंभीर श्रेणी में बना हुआ है. बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले भी इसकी जद में हैं. दिल्ली में इन दिनों हर साल की तरह प्रदूषण ने नाक में दम कर दिया है.
नई दिल्ली: देश की राजधानी नई दिल्ली में हवा लगातार जहरीली बनी हुई है. दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर श्रेणी में बना हुआ है. बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले भी इसकी जद में हैं. दिल्ली में इन दिनों हर साल की तरह प्रदूषण ने नाक में दम कर दिया है. खासकर दिल, दमे और सांस के मरीजों का बुरा हाल है. दिल्ली और एनसीआर के शहर प्रदूषण की चादर में लिपटे हुए हैं. प्रदूषण रोकने की हर संभव कवायद भी की जा रही है. दिल्ली की सरकार ने प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए अब तक कई कठोर कदम उठा चुकी है. दिल्ली ही नहीं पंजाब से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैला है प्रदूषण, नासा ने शेयर की धुंध की सैटेलाइट तस्वीर.
दिल्ली सरकार अब कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) के जरिए दिल्ली के प्रदूषण को कंट्रोल करने की प्लान बना रही है. आईआईटी कानपुर ने कृत्रिम बारिश कराने का सुझाव दिया है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय प्रदूषण की स्थिति के मद्देनजर दिल्ली में 'कृत्रिम बारिश' की गुंजाइश पर चर्चा के लिए आज अपने आवास पर आईआईटी कानपुर की एक टीम के साथ बैठक करेंगे. इस बैठके में कृत्रिम बारिश के जरिए प्रदूषण कम करने को लेकर अहम फैसला लिया जा सकता है.
कृत्रिम बारिश क्या है
कृत्रिम बारिश को लेकर आपके मन में भी सवाल होंगे कि कृत्रिम बारिश क्या है. इसे प्रदूषण से निपटने के लिए कारगर क्यों माना जा रहा है. आर्टिफिशियल बारिश, प्रदूषकों और धूल को धोने में मदद कर सकती है. आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने कहा कि आर्टिफिशियल या बारिश अच्छी गुणवत्ता वाली हवा के लिए तरस रहे एनसीआर के नागरिकों को अस्थायी ही सही, लेकिन एक सप्ताह तक राहत दे सकती है.
कैसे होगी कृत्रिम बारिश
IIT कानपुर दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश का संचालन करने के लिए तैयार है. संस्थान ने मई माह में ही कानपुर में ट्रायल शुरू कर दिया था. सबसे पहले, इसने नमी से भरे बादलों में नमक मिश्रण को स्प्रे करने के लिए एक पंप का उपयोग किया ताकि छोटे कणों को बारिश की बूंदों में संघनित किया जा सके और कृत्रिम रूप से बारिश की जा सके. यह कृत्रिम बारिश प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकती है.