Delhi High Court On Online Medicine Sale Policy: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को आठ सप्ताह के भीतर दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के संबंध में एक नीति बनाने का निर्देश दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने कहा 'यह देखते हुए कि मामला पांच साल से अदालत में लंबित है, केंद्र सरकार को एक नीति लाने का आखिरी मौका दिया जा रहा है'.
कोर्ट ने कहा कि अगर इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो संबंधित संयुक्त सचिव को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना होगा.
न्यायालय ने ऑनलाइन दवाओं की अवैध बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. याचिकाओं में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमों में और संशोधन करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित मसौदा नियमों को भी चुनौती दी गई है.
Delhi High Court orders Central government to frame policy on online sale of medicines within 8 weeks
report by @prashantjha996 https://t.co/0ySra6zu6O
— Bar & Bench (@barandbench) November 16, 2023
दिसंबर 2018 में, उच्च न्यायालय ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने का आदेश पारित किया था क्योंकि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम, 1940 और फार्मेसी अधिनियम, 1948 के तहत इसकी अनुमति नहीं थी. 2018 में भी इसी तरह का एक मुद्दा मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष भी सामने आया था.
दिल्ली उच्च न्यायालय में भी एक अवमानना याचिका दायर की गई है, जिसमें दवाओं की ऑनलाइन बिक्री जारी रखने के लिए ई-फार्मेसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. कोर्ट के आदेशों के बावजूद दोषी ई-फार्मेसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ भी एक्शन लेने की मांग की गई है.
ई-फार्मेसी ने कोर्ट को बताया है कि उन्हें दवाओं और प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे केवल दवाओं की डिलीवरी कर रहे हैं जैसे कि भोजन स्विगी जैसे खाद्य वितरण ऐप के माध्यम से वितरित किया जाता है.