नई दिल्ली, 21 नवंबर : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन फंड को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर के निर्माण के लिए उसके हिस्से की पूर्ति के लिए संलग्न किया जाए.
न्यायमूर्ति एस.के. कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि यदि दिल्ली सरकार एक सप्ताह की अवधि के भीतर वादा किए गए धन की व्यवस्था करने में विफल रहती है, तो उपरोक्त आदेश लागू हो जाएगा. इस साल जुलाई में, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिघवी ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि देय राशि का भुगतान दो महीने के भीतर किया जाएगा. यह भी पढ़ें : भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण की सबसे बड़ी प्रतीक है कांग्रेस: मोदी
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने आरआरटीएस परियोजना के निर्माण के लिए धन देने में असमर्थता व्यक्त करने के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार से पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों के लिए खर्च किए गए धन का ब्योरा देने के लिए हलफनामा मांगा था. शीर्ष अदालत ने सवाल किया था,"यदि आपके पास विज्ञापनों के लिए पैसा है, तो आपके पास उस परियोजना के लिए पैसा क्यों नहीं है जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी?"