नई दिल्ली: राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक सरदार वी. एम. सिंह ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने आंदोलन छोड़ा नहीं था, बल्कि गाजीपुर बॉर्डर छोड़ा था. बकौल वी. एम. सिंह उस समय भी उन्होंने आंदोलन का स्वरूप बदलने की बात कही थी, जिसमें हिंसा के लिए कोई जगह नहीं हो। वी. एम. सिंह ने आईएएनएस से कहा कि तीन कृषि कानून का विरोध वह पहले भी कर रहे थे और अभी भी कर रहे हैं. इससे पहले उन्होंने यहां प्रेस क्लब में एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा, "हम अब आंदोलन का एक नया स्वरूप लेकर आ रहे हैं.
देश की राजधानी की सीमाओं पर स्थित विभिन्न धरना स्थलों पर पिछले साल 26 नवंबर से जब किसानों का जुटना शुरू हुआ था, तब वी. एम. सिंह ने गाजीपुर बॉर्डर पर मोर्चा संभाला था, लेकिन 26 जनवरी किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद वह अपने समर्थक किसानों के साथ धरना स्थल से वापस लौट गए थे. उन्होंने बताया कि ज्यादातर किसान संगठनों ने आंदोलन जारी रखना तय किया पर स्वरूप बदलने की बात कही जिसमें मुद्दा प्रासंगिक रहे ओर वहीं किसानों के जान-माल का नुकसान न हो और आंदोलन अराजनैतिक व शांतिपूर्ण रहे. यह भी पढ़े: Farmers Protest: कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बयान पर भड़का संयुक्त किसान मोर्चा, कहा- प्रदर्शन कर रहे लोग ‘भीड़’ नहीं ‘अन्नदाता’ हैं
उन्होंने बताया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के अमरोहा एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान नेताओं से लखनऊ में बात करने के बाद दिल्ली में 21 फरवरी को बैठक कर उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा का गठन हुआ, जिसमें आंदोलन का आगे का स्वरूप तय किया गया. उन्होंने बताया कि, "नये स्वरूप के तहत उत्तर प्रदेश के हर गांव में अनिश्चितकालीन लगातार अनशन किया जाएगा. इसका समय सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक होगा. इस समय में 11 बजे तीन कृषि कानूनों के बारे में जानकारी दी जाएगी और तीन बजे अनशन पर बैठा हर व्यक्ति दो-दो मिनट का अपना परिचय देते हुए प्रधानमंत्री को अपना संदेश भेजेगा, जिससे उसकी आवाज सीधा प्रधानमंत्री तक पहुंचेगी.
उन्होंने कहा कि, "हर रोज नए पांच किसान क्रम से अनशन पर बैठेंगे, जिससे एक माह में एक गांव से 150 परिवार अपनी आवाज पहुंचा पाएंगे, इस तरह से पूरे प्रदेश में एक माह में लगभग एक करोड़ से ऊपर किसान अपनी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचा पाएंगे. उन्होंने कहा कि इसके बाद तो प्रधानमंत्री नहीं कह पाएंगे कि ये आंदोलन किसानों का नहीं है. उन्होंने तीनों कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी के लिए नया कानून बनाने की मांग की.













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