Delhi Air Pollution: सिर्फ किसान दोषी नहीं, दिल्ली को गैस चेंबर बनाने में इनका भी है हाथ, जानें प्रदूषण की असली वजह

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है और एक्यूआई (AQI) 'बेहद खराब' श्रेणी में है. सरकारी डेटा बताता है कि इसके लिए सिर्फ पराली जलाना जिम्मेदार नहीं है, बल्कि पड़ोसी शहरों, गाड़ियों और अनजान स्रोतों का इसमें बहुत बड़ा हाथ है. जब तक सभी राज्य और सेक्टर मिलकर काम नहीं करेंगे, दिल्ली हर सर्दी में ऐसे ही घुटती रहेगी.

(Photo : X)

दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली हो चुकी है. राजधानी फिर से एक 'गैस चेंबर' बन गई है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) का डेटा डराने वाला है. 1 अक्टूबर को जो एक्यूआई (AQI) 130 था, वो 11 नवंबर तक बढ़कर 428 पर पहुंच गया. हालांकि, 26 नवंबर को इसमें थोड़ी गिरावट आई और यह 327 दर्ज किया गया, लेकिन यह अभी भी 'बेहद खराब' (Very Poor) कैटेगरी में है.

पराली सिर्फ एक हिस्सा है, पूरी कहानी नहीं 

अक्सर पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली को दिल्ली के प्रदूषण का मुख्य कारण माना जाता है. लेकिन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के 'डिसीजन सपोर्ट सिस्टम' (DSS) का डेटा कुछ और ही इशारा कर रहा है.

अक्टूबर की शुरुआत में दिल्ली के प्रदूषण में पराली का योगदान ना के बराबर था. 17 अक्टूबर तक यह बढ़कर 2.62% हुआ. नवंबर में हालात थोड़े बिगड़े. 12 नवंबर को जब एक्यूआई 418 पर पहुंचा, तब पराली का योगदान 22.47% था. लेकिन इसके बाद 18-20 नवंबर के बीच यह घटकर 2.8% से 5.4% के बीच रह गया, फिर भी दिल्ली का एक्यूआई 325 से ऊपर ही रहा. इसका सीधा मतलब है कि पराली समस्या जरूर है, लेकिन अकेली जिम्मेदार नहीं है.

तो फिर दिल्ली को कौन प्रदूषित कर रहा है? 

डेटा बताता है कि दिल्ली के प्रदूषण में सबसे बड़ा हिस्सा (29.5%) आसपास के शहरों का है, जिनमें गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), गुड़गांव, करनाल और मेरठ शामिल हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर 19.7% हिस्सेदारी ट्रांसपोर्ट यानी गाड़ियों के धुएं की है.

इसके अलावा घरों से निकलने वाला धुआं (4.8%), इंडस्ट्रीज (3.7%) और कंस्ट्रक्शन की धूल (2.9%) भी हवा को खराब कर रहे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि 34.8% प्रदूषण 'अनजान स्रोतों' (Unknown Sources) से आ रहा है. जब हमें पता ही नहीं होगा कि प्रदूषण आ कहां से रहा है, तो उसे रोकेंगे कैसे?

दिल्ली में कोई जगह सुरक्षित नहीं 

26 नवंबर को शाम 4 बजे दिल्ली के अलग-अलग इलाकों का हाल बहुत बुरा था:

यहाँ तक कि दिलशाद गार्डन (259) और मंदिर मार्ग (231) जैसे थोड़े साफ माने जाने वाले इलाकों में भी प्रदूषण सेफ लिमिट (50) से कई गुना ज्यादा था.

साफ है कि दिल्ली का प्रदूषण सिर्फ खेतों में लगी आग का नतीजा नहीं है. यह गाड़ियों, फैक्ट्रियों और पड़ोसी राज्यों से आने वाले धुएं का एक खतरनाक मिक्सचर है. जब तक इस पर मिल-जुलकर काम नहीं होगा, दिल्ली हर सर्दी में ऐसे ही सांस लेने के लिए तरसती रहेगी.

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