Defense Startup: डिफेंस स्टार्टअप बनेंगे भारतीय सुरक्षा की नई ताकत, स्वदेशी तकनीक पर सरकार का विशेष फोकस
भारत सरकार रक्षा से जुड़े मानकों को लेकर काफी सजग है। सेनाओं को आधुनिक तकनीकों से लैस करने से लेकर स्वदेशी इकोसिस्टम के विस्तार के लिए कई अहम फैसले लगातार लिए जा रहे हैं। देश की सुरक्षा में उपयुक्त उपकरणों को पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से निर्माण और विकास के मद्देनजर केंद्र सरकार भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप आगे बढ़ रही है
Defense Startup: भारत सरकार रक्षा से जुड़े मानकों को लेकर काफी सजग है। सेनाओं को आधुनिक तकनीकों से लैस करने से लेकर स्वदेशी इकोसिस्टम के विस्तार के लिए कई अहम फैसले लगातार लिए जा रहे हैं. देश की सुरक्षा में उपयुक्त उपकरणों को पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से निर्माण और विकास के मद्देनजर केंद्र सरकार भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप आगे बढ़ रही है। पीएम मोदी ने भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को 21वीं सदी के भारत के लिए बेहद जरूरी बताया और कहा कि आज हम सबके प्रयास की ताकत से नया रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले चार-पांच वर्षों में हमारे रक्षा आयात में लगभग 21 प्रतिशत की कमी आई है और हम एक प्रमुख रक्षा आयातक से बड़े निर्यातक बनने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.
पीएम मोदी सोमवार को नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO) के सेमिनार ‘स्वावलंबन’ को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भारतीय नौसेना में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सोमवार को ‘स्प्रिंट चैलेंज’ की शुरुआत की. यह भी पढ़े: राजनाथ ने रक्षा क्षेत्र में नवोन्मेष के लिए 499 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी
क्या है ‘स्प्रिंट चैलेंज’ ?
भारतीय नौसेना में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘स्प्रिंट चैलेंज’ की शुरुआत की गई है। रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए एवं ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत NIIO का उद्देश्य रक्षा नवाचार संगठन (DIO) के साथ मिलकर भारतीय नौसेना में कम से कम 75 नई स्वदेशी प्रौद्योगिकियों/ उत्पादों को शामिल करना है। इस सहयोगी परियोजना का नाम स्प्रिंट है। भारत की अर्थव्यवस्था में महासागरों और तटों के बढ़ते महत्व से भारतीय नौसेना की भूमिका लगातार बढ़ रही है और इसलिए इसकी आत्मनिर्भरता महत्वपूर्ण है.
बदल रहे युद्ध के तौर-तरीके
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे भी व्यापक हो गए हैं, युद्ध के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं। पहले हम सिर्फ भूमि, समुद्र, आकाश तक ही अपने डिफेंस की कल्पना करते थे। अब दायरा अंतरिक्ष की तरफ बढ़ रहा है, साइबर स्पेस की तरफ बढ़ रहा है, आर्थिक, सामाजिक स्पेस की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि खुद पर भरोसा रखते हुए भारत के हितों को हानि पहुंचाने वाली ताकतें चाहे देश में हों या फिर विदेश में, उनकी हर कोशिश को नाकाम करना है। राष्ट्र रक्षा अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि बहुत व्यापक है। इसलिए हर नागरिक को इसके लिए जागरूक करना आवश्यक है
तैयार हो रहा नया रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र
रक्षा क्षेत्र में भारत का गौरवमयी इतिहास रहा है। आजादी से पहले भी भारत का रक्षा क्षेत्र काफी मजबूत हुआ करता था। बीते दशकों की अप्रोच से सीखते हुए आज देश ‘सबका प्रयास’ की ताकत से नए रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का विकास कर रहा है। आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास को निजी क्षेत्र, अकादमिक, MSME और स्टार्टअप के लिए खोल दिया गया है। पब्लिक सेक्टर की डिफेंस कंपनियों को सरकार ने अलग-अलग सेक्टर में संगठित कर उन्हें नई ताकत दी है। आज के समय में देश के प्रतिष्ठित संस्थान रक्षा अनुसंधान और नवाचार से जुड़कर सेनाओं को नई तकनीक उपलब्ध करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं।
भारतीय कंपनियों से हो रही रक्षा खरीद
देश के रक्षा बजट में बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बीते 8 वर्षों में रक्षा बजट ने देश में ही रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए तय बजट का बहुत बड़ा हिस्सा आज भारतीय कंपनियों से खरीद में ही लग रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि बीते 4-5 सालों में हमारा रक्षा आयात लगभग 21 % कम हुआ है। आज हम सबसे बड़े रक्षा आयातक की बजाय एक बड़े निर्यातक की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।