बच्चों को COVID वैक्सीन लगाने पर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय, मोदी सरकार के फैसले को बताया नए साल का तोहफा, तो कोई बोला 'अवैज्ञानिक' निर्णय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 से 18 वर्ष के बच्चों का कोविड-19 वैक्सीनेशन अगले महीने की तीन तारीख से शुरू किये जाने की घोषणा की है. हालांकि केंद्र सरकार के इस निर्णय पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने 15 से 18 वर्ष के बच्चों का कोविड-19 वैक्सीनेशन (COVID-19 Vaccination) अगले महीने की तीन तारीख से शुरू किये जाने की घोषणा की है. हालांकि केंद्र सरकार के इस निर्णय पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है. एनटीएजीआई (NTAGI) के कोविड टास्क फोर्स वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ एनके अरोड़ा (Dr NK Arora) ने दावा किया कि कोवैक्सिन के ट्रायल में बच्चों में इसकी बहुत अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखने को मिली है. उन्होंने कहा "12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे, विशेष रूप से 15 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे, वयस्कों की तरह हैं. देश के भीतर हमारे शोध यह भी बताये हैं कि कोरोना के कारण जान गंवाने वाले 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लगभग दो-तिहाई इसी आयु वर्ग के हैं. इसलिए, यह निर्णय मुख्य रूप से किशोरों की सुरक्षा के लिए लिया गया है." लोगों को प्रधानमंत्री मोदी के फैसलों पर पूरा भरोसा : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह
डॉ अरोड़ा ने रविवार को एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा, "किशोरों के वैक्सीनेशन के दो अन्य फायदे हैं. एक यह है कि वे काफी गतिशील हैं. विशेष रूप से ओमिक्रॉन के संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच उन्हें स्कूल कॉलेजों में जाना पड़ता है. दूसरा यह की कई बार इन किशोरों के घरों में संक्रमण हो जाता है, जहां बुजुर्ग और बीमार लोग संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए, इस सब को देखते हुए, देश ने 15 से 18 साल के बच्चों के लिए विशेषज्ञों शुरू करने का फैसला किया है.”
कोवैक्सिन बच्चों में ज्यादा असरदार
उन्होंने बताया कि कोवैक्सिन ने ट्रायल दिखाया है कि बच्चों में इसकी बहुत अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है. वास्तव में, यह वयस्कों की तुलना में थोड़ा बेहतर है. दूसरे, यह वैक्सीन एक सुरक्षित वैक्सीन है. इसमें साइड इफेक्ट बहुत मामूली है. हम अपने किशोरों को महामारी से सुरक्षा प्रदान करना चाहते हैं.
जाने-माने डॉक्टर ने कहा, "हालांकि बीमारी का प्रभाव बहुत कम है, लेकिन जैसा कि हम जानते हैं कि कई स्कूल खुल गए हैं. बहुत सारे माता-पिता अभी भी अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं. इसलिए यह वैक्सीनेशन अभियान उनमें भी आत्मविश्वास जगाएगा. मैं कहूंगा कि यह हमारे किशोरों के लिए नए साल का एक शानदार गिफ्ट है."
महामारी विशेषज्ञ ने किशोरों को वैक्सीन के फैसले को 'अवैज्ञानिक' बताया
वहीं, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ ने रविवार को किशोरों के वैक्सीनेशन के सरकार के फैसले को 'अवैज्ञानिक' बताया है. डॉ. संजय के राय, जो एम्स में वयस्कों और बच्चों के लिए कोवैक्सिन ट्रायल के प्रमुख अन्वेषक भी हैं, ने एक ट्वीट में कहा, "मैं राष्ट्र के लिए निस्वार्थ सेवा और सही निर्णय लेने के लिए पीएम मोदी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं. लेकिन बच्चों के वैक्सीनेशन पर उनके अवैज्ञानिक निर्णय से मैं पूरी तरह निराश हूं."
डॉ. राय इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा कि योजना को अमल में लाए जाने से पहले बच्चों के वैक्सीनेशन पर अन्य देशों के डेटा का विश्लेषण किया जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में घोषणा की कि 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन 3 जनवरी से शुरू होगा. उन्होंने फ्रंटलाइन और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 'एहतियाती' खुराक की भी घोषणा की.
12-18 वर्ष की आयु के बच्चों को लग सकी है कोवैक्सीन
इस बीच, हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक के कोविड वैक्सीन कोवैक्सीन को शनिवार को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से 12-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए नए कोविड वैरिएंट ओमिक्रॉन के लिए बढ़ती चिंता के बीच आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिल गई. हालांकि यह मंजूरी कुछ शर्तो के अधीन आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए दी गई है. इससे पहले जायडस कैडिला की तीन खुराक वाली डीएनए वैक्सीन को 12 साल से अधिक उम्र के वयस्कों और बच्चों पर इस्तेमाल करने की अनुमति मिली थी.