मुंबई: बेटा 5 अस्पतालों के काटता रह गया चक्कर, कैब में बेसुध हुए पिता- अंत में तोड़ दिया दम
मौत I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) से एक भयानक वाकिया सामने आया है. डोंगरी (Dongri) में रहने वाले खालिद अली शेख (Khalid Ali Shaikh) की संवेदनहीनता और प्रशासन की लचर व्यवस्था के चलते जान चली गई. 52 वर्षीय बीमार पिता को कैब में लेकर बेटे ने घंटों तक अस्पतालों के चक्कर काटे. लेकिन इलाज में देरी होने के कारण बदनसीब पिता को बचाया नहीं जा सका.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सांस लेने में तकलीफ होने पर इलाज के लिए कथित तौर पर दक्षिण मुंबई के कई अस्पतालो के चक्कर काटने के बाद 52 वर्षीय डोंगरी निवासी की मौत हो गई. इस दौरान बीएमसी हेल्पलाइन (BMC Helpline) 1916 को भी कॉल कर मदद मांगी गई, लेकिन कुछ खास फायदा नहीं हुआ. करीब चार घंटे बाद खालिद अली शेख को सेंट जॉर्ज अस्पताल (St George Hospital) में एडमिट कराने में कामयाबी मिली, लेकिन शनिवार तड़के उनका निधन हो गया. मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण के 441 नए मामले सामने आए, 21 रोगियों की मौत

बताया जा रहा है कि शेख ने अपने जीवन के अंतिम पांच वर्ष शहर में मरने वाले लोगों को सम्मानजनक दफनाने के लिए समर्पित किए थे, लेकिन उनके शव को केरल (Kerala) में उनके घर नहीं ले जाया जा सका. बेटे शहबाज (Shahbaz) ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरे पिता को अपने जीवन के लिए लड़ने का मौका नहीं मिला. शहबाज ने कहा कि वह अपने पिता को टैक्सी में लेकर दो से ढाई घंटे तक अस्पतालो के चक्कर कटता रहा. लेकिन ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के बावजूद किसी अस्पताल ने उन्हें भर्ती नहीं किया.

खालिद अली शेख मधुमेह से पीड़ित थे और उन्हें पिछले चार दिनों से बुखार और कमजोरी थी. शुक्रवार रात लगभग 8 बजे उनकी तबियत बिगड़ गई. शाहबाज ने बताया कि पिता की तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें एक टैक्सी से मझगाँव में प्रिंस ऐली खान अस्पताल (Prince Aly Khan Hospital) ले जाया गया. जहां नाड़ी और ऑक्सीजन की जांच के बाद कोरोना के लक्षण दिखने पर एडमिट नहीं किया गया और फिर एच एन रिलायंस (H N Reliance) अस्पताल में भेजा गया. इसके बाद एचएन रिलायंस ने उन्हें एम्बुलेंस से मरोल (Marol) में एक कोविड-19 अस्पताल में भिजवाया.

इसके बाद उन्हें चर्नी रोड (Charni Road) स्थित एचएन रिलायंस अस्पताल जाने के लिए कहा गया. चूंकि यह अस्पताल भी कोविड-19 अस्पताल नहीं था, इसलिए शेख को मरोल में सेवनहिल्स (SevenHills) में भेजने की पेशकश की गई. लेकिन बेबस बेटा पिता की स्थिति को देखते हुए तैयार नहीं हुआ.

इसके बाद खालिद अली शेख को चर्नी रोड में स्थित सैफी अस्पताल (Saifee Hospital) में लेकर जाया गया. परिवार ने दावा किया कि सैफी में उन्हें अंदर तक जाने की अनुमति नहीं दी गई. इस दौरान बीएमसी हेल्पलाइन से भी संपर्क किया गया. लेकिन उन्हें बताया गया कि 45 मिनट में अस्पताल में बेड की स्थिति की जानकारी दी जाएगी.

तब तक मेरे पिता कैब के अंदर बेहोश हो गए थे. मुझे डॉक्टर ने बॉम्बे अस्पताल (Bombay Hospital) जाने का सुझाव दिया. इसके बाद हमने मसीना अस्पताल (Masina Hospital) जाने का फैसला किया, लेकिन वहां पहुंचने पर भी निराशा मिली. हम अंत में बॉम्बे अस्पताल गए लेकिन वहां भी आपातकालीन विभाग में तैनात ने गार्ड ने डॉक्टर नहीं होने की जानकारी दी. हालांकि बॉम्बे अस्पताल ने इस आरोप को नकार दिया है और कहा कि यह कोरोना वायरस मरीजों का अस्पताल होने के कारण यहां हर वक्त डॉक्टर मौजूद होते है.

खालिद अली शेख को को अंततः सेंट जॉर्ज अस्पताल ले जाया गया. बेटे शहबाज ने बताया कि पिता को एडमिट किए जाने के बाद तुरंत ऑक्सीजन दिया गया. लेकिन एक कर्मचारी ने बताया कि ऑक्सीजन खत्म हो रहा है. इसके बाद पिता को लगभग २.३० बजे मृत घोषित कर दिया गया. हालांकि अब तक इस बात की पुष्टी नहीं हो सकी है कि मृतक कोरोना वायरस से संक्रमित था कि नहीं.