Congress's Reaction on Caste Census: कांग्रेस ने राज्यसभा में उठाया जाति जनगणना का मुद्दा, कहा- योजनाएं बनाने में मिलेगी मदद
राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों को शिक्षा सहित विभिन्न आधारभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए कदम उठाये जाने की आवश्यकता पर जहां बल दिया, वहीं कांग्रेस ने जातिगत जनगणना की मांग उठायी, ताकि विभिन्न जातियों की सही संख्या पता लगने पर उनके कल्याण के लिए समुचित कदम उठाये जा सके।
Congress's Reaction on Caste Census: राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों को शिक्षा सहित विभिन्न आधारभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए कदम उठाये जाने की आवश्यकता पर जहां बल दिया, वहीं कांग्रेस ने जातिगत जनगणना की मांग उठायी, ताकि विभिन्न जातियों की सही संख्या पता लगने पर उनके कल्याण के लिए समुचित कदम उठाये जा सके.
भाजपा सदस्यों ने चर्चा में भाग लेते हुए आरोप लगाया कि ओडिशा सहित कई राज्यों में कांग्रेस के कई दशकों तक सत्ता में रहने के बावजूद विभिन्न जनजातियों के लोगों को संविधान में प्रदत्त आरक्षण का अधिकार लंबे समय तक नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि अब इस काम को केंद्र की नरेंन्द्र मोदी सरकार कर रही है.
उच्च सदन में संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 और संविधान (अनुसूचित जाति एवं जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 पर एक साथ हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के एल हनुमंतय्या ने कहा कि सरकार को अनुसूचित जाति एवं जनजाति की सूची की समग्रता से समीक्षा करनी चाहिए, ताकि उनकी विसंगतियां दूर हो सकें.
उन्होंने इस बात पर हैरत जतायी कि सरकार सभी जातियों की जनगणना क्यों नहीं कर रही है. उन्होंने इस बारे में सरकार से विचार करने की मांग की. उन्होंने सरकारी विभागों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के रिक्त पड़ें पदों पर भर्ती करने को कहा.
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि एक तरफ तो सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों को सशक्त बनाने की बात करती है, वहीं देश के एकमात्र आदिवासी मुख्यमंत्री को केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के जरिये उसने पद से हटने के लिए विवश किया.
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि इस विधेयक के संसद में पारित होने के बाद कानून के रूप में लागू होगा तो यह संबंधित समुदाय के लोगों के लिए उसी तरह के उल्लास का विषय होगा जैसा देश ने अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने पर मनाया था. उन्होंने कहा कि इससे इस वर्ग पर काफी सकारात्मक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ेगा.
प्रधान ने कहा कि ओडिशा के ये समुदाय दशकों से इसकी मांग कर रहे थे और आज यह लोकतंत्र की जीत है कि यह सुविधा उस वर्ग तक पहुंचायी जा रही है. उन्होंने यह विधेयक लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा का आभार व्यक्त किया.
उन्होंने कहा कि सरकार ने आज जो काम किया है वह आदिवासी समुदाय से आने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अपेक्षाओं के अनुरूप हो रहा है.
प्रधान ने कांग्रेस सदस्य हनुमंतय्या से कहा कि ओडिशा की चार आदिम जातियां दशकों से अपने संवैधानिक अधिकार मांग रहे थे और ओडिशा में कांग्रेस की सरकार कई वर्षों तक रहने के बावजूद उन्हें यह अधिकार नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस को इस मामले में ‘घड़ियाली आंसू’ बहाने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि आज सरकार में आदिवासी को जितना प्रतिनिधित्व मिला है, उतना पहले कभी नहीं मिला. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने आरोप लगाया कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री को केंद्रीय एजेंसी का दुरुपयोग करके हटाया गया, किंतु इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए कि कानून से ऊपर कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी का एकाधिकार नहीं चल सकता है.
उन्होंने कहा कि ओडिशा के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय से आने वाले विष्णु साय भी मुख्यमंत्री हैं और उनकी सरकार इस समुदाय के हितों के लिए बहुत काम कर रहे हैं. प्रधान ने साढ़े चार करोड़ उड़िया लोगों की तरफ से यह विधेयक लाने पर केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और उनके मंत्री जुएल ओराम तथा अब मोदी सरकार एवं उनके मंत्री अर्जुन मुंडा ने ओडिशा के आदिवासियों की सुध ली है.
उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी है कि एक भी (आरक्षण के) अधिकारी व्यक्ति को वंचित नहीं रहने दिया जाएगा. उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि ओडिशा सहित देश के किसी भी राज्य में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार से छेड़छाड़ नहीं की जाए. प्रधान ने ओडिशा में आदिवासियों को उनकी जमीन गिरवी रखने का अधिकार देने के सरकार के फैसले को वापस लिये जाने पर बधाई दी, क्योंकि इसका दुरुपयोग होने की आशंका थी.
इसके बाद बीजद के सस्मित पात्रा ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि कोई केंद्रीय मंत्री राज्यों के मंत्रिमंडल के निर्णय पर सवाल नहीं उठा सकता और यदि ऐसा होता है तो यह लोकतंत्र के लिए दुखद दिन होगा.
इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने तो ओडिशा सरकार को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री उच्च सदन के सदस्य हैं और वह एक सदस्य के नाते किसी विषय पर अपने विचार रख सकते हैं, संविधान ने यह अधिकार उन्हें दिया है। उन्होंने पात्रा की आपत्ति को खारिज कर दिया.
भाजपा के डॉ के लक्ष्मण ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने एक आदिवासी महिला को देश के शीर्ष पद पर भेजकर मुर्मू जनजाति को वह सम्मान दिया है जो उन्हें पिछले 75 साल में नहीं मिल पाया है. उन्होंने तेलंगाना में आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना किए जाने के कदम की सराहना की.
उन्होंने कहा कि सरकार ने आदिवासी बच्चों के लिए जो आवासीय एकलव्य स्कूल खोले हैं, वह सराहनीय कदम है. उन्होंने कहा कि ऐसे 401 स्कूल देश भर में खोले गये हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने न केवल संगठन बल्कि अपनी विभिन्न सरकारों में आदिवासी समुदाय के लोगों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया है.
लक्ष्मण ने कहा कि इन दोनों विधेयकों के प्रावधानों से आंध्र प्रदेश एवं ओड़िशा के आदिवासियों को लाभ मिलेगा.
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