S Jaishankar | PTI

मॉस्को: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने गुरुवार को मॉस्को में बयान देते हुए साफ कहा कि रूस से तेल खरीदना भारत के लिए न सिर्फ राष्ट्रीय हित में है, बल्कि यह कदम उस नीति से भी मेल खाता है, जिसकी सलाह खुद अमेरिका लंबे समय से देता आ रहा है. उन्होंने कहा, “पिछले कई सालों से अमेरिका यह कहता रहा है कि हमें विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने के लिए कदम उठाने चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है. जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत केवल रूस पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि अमेरिका से भी लगातार तेल खरीदता है. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारत का अमेरिकी तेल आयात काफी बढ़ा है. यानी भारत संतुलित नीति के तहत कई देशों से ऊर्जा स्रोत खरीद रहा है ताकि घरेलू जरूरतें पूरी हो सकें.

"चीन और यूरोप रूस पर ज्यादा निर्भर"

जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला देश भारत नहीं, बल्कि चीन है. इसी तरह, यूरोपीय संघ (EU) रूस से सबसे ज्यादा एलएनजी (LNG) आयात करता है. उन्होंने कहा, “हम वो देश नहीं हैं, जिनका रूस से व्यापार सबसे तेजी से बढ़ा है. यह आंकड़े खुद बताते हैं कि भारत की स्थिति चीन या यूरोप जैसी नहीं है.”

ट्रंप टैरिफ और भारत-अमेरिका तनाव

जयशंकर की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव देखा जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय सामान पर टैरिफ को 50% तक दोगुना कर दिया, और इसके अलावा रूस से कच्चा तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त पेनल्टी भी लगा दी. इसके बावजूद भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता हमेशा राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और जनता की जरूरतें होंगी.

भारत का संदेश साफ है कि रूस से तेल खरीदना कोई राजनीतिक दांव-पेच नहीं, बल्कि आर्थिक मजबूरी और राष्ट्रीय हित है. साथ ही, यह कदम विश्व ऊर्जा बाजार को संतुलित रखने में भी मदद करता है.