भ्रष्टाचार उजागर होने के बावजूद मंत्री को बर्खास्त करने की हिम्मत नहीं है चंपई सोरेन में : बाबूलाल मरांडी
झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने जेल में बंद राज्य सरकार के मंत्री आलमगीर आलम को बर्खास्त न किए जाने पर सीएम चंपई सोरेन पर जोरदार हमला बोला है.
रांची, 8 जून : झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने जेल में बंद राज्य सरकार के मंत्री आलमगीर आलम को बर्खास्त न किए जाने पर सीएम चंपई सोरेन पर जोरदार हमला बोला है. मरांडी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, "चंपई सोरेन जैसा रीढ़विहीन मुख्यमंत्री आज तक नहीं देखा. आलमगीर आलम का भ्रष्टाचार उजागर होने के बावजूद चंपई सोरेन उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे."
सीएम ने शुक्रवार को मंत्री आलमगीर आलम के दायित्व वाले सभी विभागों को वापस ले लिया था, लेकिन वे मंत्री पद पर अब तक बने हुए हैं. आलमगीर आलम के पास ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं संसदीय कार्य विभाग थे. वे सरकार में दूसरे नंबर की हैसियत वाले मंत्री माने जाते रहे हैं. यह भी पढ़ें : Delhi MInister Atishi: पिछले पांच दिनों से लगातार पानी घट रहा है, हरियाणा सरकार दिल्ली के हक़ का पानी रोक रही है; दिल्ली की मंत्री आतिशी का आरोप- Video
मरांडी ने लिखा, "सूचना के मुताबिक कठपुतली मुख्यमंत्री जी ने आलमगीर आलम के दायित्व वाले विभाग वापस लिए हैं, लेकिन मंत्री पद से नहीं हटाया है. बीते 4 साल झारखंड की जनता विशेषकर युवाओं के लिए भारी रहे हैं. झारखंड के युवा नौकरी की आस में टकटकी लगाए बैठे रहे लेकिन हेमंत सोरेन ने स्थानीय युवाओं को नियोजन नीति, 60-40, बाहरी-भीतरी और पेपर लीक जैसे मुद्दों में उलझा कर नौकरियों की सौदेबाजी करने का प्रयास किया."
उन्होंने आगे लिखा, "हेमंत के जेल जाने के बाद जनता को आस थी कि चंपई सोरेन नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाएंगे, भ्रष्टाचार को रोकेंगे, अपराधियों पर लगाम कसेंगे लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत. अब जनता तय करे कि ऐसा मुख्यमंत्री किस काम का, जो ना तो भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने की हिम्मत रखता हो, ना पेपर लीक माफियाओं को सबक सिखाने की हिम्मत रखता हो, ना ही जिसमें युवाओं को रोजगार देने की इच्छाशक्ति हो."
आलमगीर आलम को टेंडर कमीशन घोटाले में ईडी ने 15 मई की शाम को गिरफ्तार किया था. इसके पहले ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और घरेलू सहायक जहांगीर आलम सहित कई अन्य के ठिकानों पर 6-7 मई को छापेमारी की थी और इस दौरान 37 करोड़ से ज्यादा की रकम बरामद की गई थी.
झारखंड में इसके पहले भी कई मंत्री गिरफ्तार हुए हैं, लेकिन जेल जाते ही उन्हें पद से हटना पड़ा था. यहां तक कि सीएम के पद पर रहते हुए जब ईडी ने हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार करने का फैसला किया, तो उन्होंने हिरासत में लिए जाने के पहले रात दस बजे राजभवन जाकर राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था.