गुरुग्राम के पारस अस्पताल के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज, कोरोना संक्रमित मरीज को जबरन अस्पताल से डिस्चार्ज करने का लगा आरोप
गुरुग्राम के पारस अस्पताल के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. अस्पताल पर आरोप है कि इसने कथित तौर पर एक संदिग्ध कोविड-19 मरीज को मई में जबरन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया. मरीज एक वरिष्ठ नागरिक है. हालांकि बाद में रोगी की परीक्षण रिपोर्ट नेगेटिव आ गई.
गुरुग्राम, 6 दिसंबर: गुरुग्राम के पारस अस्पताल (Paras Hospital) के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. अस्पताल पर आरोप है कि इसने कथित तौर पर एक संदिग्ध कोविड-19 (Covid19) मरीज को मई में जबरन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया. मरीज एक वरिष्ठ नागरिक है. हालांकि बाद में रोगी की परीक्षण रिपोर्ट नेगेटिव आ गई. वरिष्ठ नागरिक ने आरोप लगाया कि कोविड-19 की गलत रिपोर्ट के कारण, उसे अपने परिवार के साथ मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा. स्वास्थ्य विभाग ने घटना के चार माह बाद पाया कि महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत अस्पताल ने कानून का उल्लंघन किया है और कानून के अनुसार अस्पताल पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की है.
जिला स्वास्थ्य विभाग की सिफारिश और पुलिस जांच के बाद आखिरकार शुक्रवार को गुरुग्राम के सुशांत लोक पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया. भारतीय वायु सेना के एक पूर्व कर्मचारी, 71 वर्षीय मरीज द्वारा दायर की गई शिकायत के अनुसार, "उन्हें ईसीएचएस की प्री अप्रूव्ड राशि 2.20 लाख रूपये के साथ 18 मई, 2020 को 'एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस' के इलाज के लिए गुरुग्राम के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था."
शिकायत में कहा गया कि उसी सुबह, उनका कोरोनावायरस के लिए एक परीक्षण किया और बाद में आधी रात में उन्हें अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. अस्पताल ने कोई भी चिकित्सा सहायता देने से इनकार कर दिया था और बाद में उसे जबरन छुट्टी दे दी और 12,691 रुपये का बिल जारी किया, जिसे उनहोंने अस्वीकार कर दिया. शिकायत के अनुसार, "अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें फिर 6,000 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा, जिसे पीड़ित ने फिर से अस्वीकृत कर दिया. इसके साथ ही अस्पताल ने उन्हें किसी भी प्रकार की रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया.
उन्होंने बताया कि उन्हें अस्पताल के कर्मचारियों ने जबरन अस्पताल परिसर से कोरोना के भय की वजह से बाहर कर दिया. उन्होंने दावा किया कि बाद में व्हाट्सअप पर उन्हें कोरोना रिपोर्ट भेजी गई और वह डीएलएफ फेज-4 में क्वारंटीन में रहने लगे, जबकि वह पहले अपने परिवार के साथ सेक्टर 10 में रहते थे. इसके बाद, सिविल अस्पताल में उन्होंने सपरिवार कोरोना जांच करवाई और परिवार समेत उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई.
उन्होंने कहा, "अस्पताल द्वारा दी गई गलत रिपोर्ट के कारण, मुझे और मेरे परिवार के सदस्यों को अलग-अलग रहना पड़ा और उन्हें भी प्रतिबंध के साथ एक महीने के लिए अलग रहना पड़ा. साथ ही अस्पताल द्वारा साझा की गई एक गलत रिपोर्ट के कारण सोसायटी को सील कर दिया गया और हॉटस्पॉट घोषित कर दिया गया."
वहीं अस्पताल प्रबंधन ने एक बयान में कहा, "पारस हॉस्पिटल्स में, हम अपने सभी मरीजों को सस्ती कीमत पर बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमने सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरे, कोरोनावायरस महामारी को बहुत गंभीरता से लिया है. मामला सक्षम अधिकारियों के हाथों में है और हमने अपनी जांच में उनके लिए अपना सर्वश्रेष्ठ संभव सहयोग दिया है और पूर्ण सहयोग प्रदान करते रहेंगे."