नकल कर रही थी छात्रा... शिक्षक ने कंधे को पीछे से छूकर रोका तो लग गया छेड़छाड़ का आरोप; जानें कोर्ट ने क्या कहा
कलकत्ता हाई कोर्ट ने हाल ही में माना कि एक शिक्षक द्वारा किसी छात्रा को परीक्षा में नकल करने से रोकने के लिए उसके कंधे को छूना ही छेड़छाड़ नहीं माना जाएगा जिसके लिए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने हाल ही में माना कि एक शिक्षक द्वारा किसी छात्रा को परीक्षा में नकल करने से रोकने के लिए उसके कंधे को छूना ही छेड़छाड़ नहीं माना जाएगा जिसके लिए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "छात्रा के कंधों को पीछे से छूकर उसे परीक्षा में नकल करने से रोकना किसी भी हद तक कदाचार नहीं कहा जा सकता, और क्योंकि पीड़िता ने स्वयं इस तरह की कार्रवाई को अनुचित या दुर्भावनापूर्ण नहीं कहा है. याचिकाकर्ता पर लगाया गया जुर्माना भी पूरी तरह से असंगत है और इसकी कोई कानूनी मंजूरी नहीं है.'' दो विवाहित वयस्कों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप अपराध नहीं, रेप का आरोप नहीं लगा सकती महिला पार्टनर.
कोर्ट ने कहा कि परीक्षा में नकल करने से रोकने के एकमात्र उद्देश्य के लिए याचिकाकर्ता द्वारा पीड़िता के कंधों को पीछे से छूने के कृत्य को कोई यौन भावना नहीं कहा जा सकता है. इसलिए, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पूरे पिछले वेतन के साथ-साथ अन्य परिणामी लाभों के साथ बहाल करने का आदेश दिया.
याचिकाकर्ता, अनिल कुमार मृधा को अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने इस आधार पर सेवा से हटा दिया था कि उन्होंने नवंबर 2009 में आठवीं कक्षा की एक लड़की के कंधे को पीछे से छूकर उसके साथ छेड़छाड़ की थी. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को इस आधार पर आपराधिक मामले से बरी कर दिया गया था पीड़ित द्वारा दायर एक 'समझौता याचिका' जिसके बारे में कहा गया था कि उसने उसके खिलाफ झूठा मामला दायर किया था.
कोर्ट ने कहा कि हालांकि पीड़िता ने शुरू में अपने साक्ष्य में कहा था कि याचिकाकर्ता ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी, लेकिन बाद में उसने बयान वापस ले लिया और कहा कि याचिकाकर्ता ने परीक्षा में नकल करते समय केवल पीछे से उसके कंधे को छुआ था. "पीड़िता का बयान भी ऐसा ही है, जिसने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जब वह परीक्षा में नकल कर रही थी तो याचिकाकर्ता ने उसे अपने कंधों से पकड़ लिया था. पीड़िता ने एक बार भी यह संकेत नहीं दिया है कि उक्त स्पर्श यौन इरादे से था या अनुचित था.