HC on Promise Of Marriage After Divorce: कोलकाता हाई कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि 'तलाक के बाद शादी' का वादा धोखा नहीं है. हाई कोर्ट ने आईपीसी की धारा 417 के तहत एक व्यक्ति को दोषी ठहराने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. आरोपी पुरुष ने महिला से वादा किया था किया था कि वह अपनी शादी से तलाक लेने के बाद उससे शादी करेगा और यह कहकर उसने महिला से संबंध बनाए थे. SC On Marital Relationship and Divorce: शादी टूटने के बाद पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ क्रूरता का व्यवहार करते है, जो तलाक का आधार बन सकता है.
कोलकाता हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, "पीड़िता स्थिति से वाकिफ थी वह पूरा सच जानती थी और उसने इसके बावजूद आरोपी के साथ रहने का फैसला किया. इस तरह रिश्ते की शुरुआत से ही अनिश्चितता बनी हुई थी. पीड़िता स्थिति को अच्छी तरह समझती थी और उसने जानबूझकर इस जोखिम को स्वीकार किया. अब शख्स तलाक नहीं ले रहा है तो यह कोई धोखा नहीं है."
Promise Of ‘Marriage After Divorce’ By Itself Does Not Amount To Cheating, Victim Consciously Accepted Risk Of Uncertainty: Calcutta High Court Sets Aside Conviction Of Man Accused Of Sexually Exploiting Woman @uditsingh210 #highcourt https://t.co/lvGrdgCKf5
— Live Law (@LiveLawIndia) April 27, 2023
मामले में कोर्ट ने शख्स को पहले ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया. जिसमें से पीड़िता को मुआवजे के रूप में 8 लाख रुपये का भुगतान किया जाना था और 2 लाख उसकी सजा के हिस्से के रूप में राज्य के खजाने में जमा किया जाना है.
अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, पीड़िता अपीलकर्ता के साथ रहने के लिए सहमत हो गई थी क्योंकि पुरुष ने अपनी पहली शादी के तलाक के बाद उससे शादी करने का वादा किया गया था. बाद में पुरुष ने तलाक लेने का फैसला बदल दिया और कहा कि क्योंकि इससे उसकी बेटी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और उसकी पारिवारिक प्रतिष्ठा को नुकसान होगा इसलिए वह तलाक नहीं ले सकता. इसके बाद पीड़िता ने शख्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 417 (धोखाधड़ी की सजा) और धारा 376 (बलात्कार की सजा) के तहत मामला दर्ज करवाया था.