नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन (CAA) जारी कर दिया है. इसी के साथ ही अब पड़ोसी देश के अल्पसंख्यक भारत की नागरिकता ले सकेंगे. सीएए के नियम जारी हो जाने के साथ ही अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार इन तीन देशों के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी. Explained: क्या है CAA, किसे और कैसे मिलेगी नागरिकता? यहां मिलेंगे सभी सवालों के जवाब.
इस कानून को पारित किये जाने के चार साल बाद केंद्र के इस कदम के कारण पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया है. सरकार के मुताबिक, पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है. आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था.
CAA से जुड़े तमाम नियमों को आप यहां देख सकते हैं. यहां क्लिक कर CAA Rules PDF डाउनलोड करें.
मोदी सरकार ने एक और वादा पूरा किया: अमित शाह
देश में सीएए लागू होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने आज नागरिकता (संशोधन) रूल, 2024 को अधिसूचित कर दिया है. ये नियम अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे.
गृह मंत्री ने शेयर की नियमों की पूरी लिस्ट
The Modi government today notified the Citizenship (Amendment) Rules, 2024.
These rules will now enable minorities persecuted on religious grounds in Pakistan, Bangladesh and Afghanistan to acquire citizenship in our nation.
With this notification PM Shri @narendramodi Ji has…
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) March 11, 2024
गृह मंत्री ने लिखा, 'इस अधिसूचना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक और प्रतिबद्धता पूरी की है. उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादा किया था जो हमने साकार किया है.' इसके साथ ही गृह मंत्री ने एक PDF भी शेयर किया है.
किसे मिलेगी नागरिकता
भारतीय नागरिकता केवल उन्हें मिलेगी जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण लिए हुए थे. इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों.
कानून से मुस्लिम अलग क्यों?
सीएए के तहत अफगानिस्तान बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू सिख जैन और ईसाई बौद्ध और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता मिल जाएगी. इस प्रावधान में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है जिसकी वजह से कई जगह इसका विरोध देखने को मिल रहा है. हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि सीएए में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया गया है.
सरकार का तर्क है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इस्लामिक देश हैं और यहां पर गैर-मुस्लिमों को धर्म के आधार पर सताया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है. इसी कारण गैर-मुस्लिम यहां से भागकर भारत आए हैं. इसलिए गैर-मुस्लिमों को ही इसमें शामिल किया गया है.