कठुआ में बन रहा बायो टेक पार्क, पौधों के औषधीय गुणों पर किये जाएंगे शोध
जम्मू के कठुआ में बन रहा बायो टेक पार्क उत्तर भारत का पहला पार्क होगा जिसमें पौधों के औषधीय गुणों पर शोध किये जाएंगे.उम्मीद है कि 2021 से पहले इस पार्क को तैयार कर लिया जाएगा. स्थानीय किसानों के लोगों को इस पार्क से काफी उम्मीदें हैं.
जम्मू के कठुआ (Kathua) में बन रहा बायो टेक पार्क (Bio Tech Park) उत्तर भारत का पहला पार्क होगा जिसमें पौधों के औषधीय गुणों पर शोध किये जाएंगे.उम्मीद है कि 2021 से पहले इस पार्क को तैयार कर लिया जाएगा. स्थानीय किसानों के लोगों को इस पार्क से काफी उम्मीदें हैं. जाहिर है किसानों की आमदनी बढ़ने से लेकर लोगों के लिए यह पार्क वरदान साबित होगा. जम्मू संभाग के साढ़े दस एकड़ जमीन पर स्थापित किये जा रहे बायो टेक पार्क का काम जोरशोर से चल रहा है. बता दें कठुआ का यह पार्क अपने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और पंजाब सहित पूरे क्षेत्र को नये साधन उपलब्ध करवाने का काम पूरा करेगा.इस परियोजना की कुल लागत 44.03 करोड़ की है.
युवाओं को मिलेंगे रोज़गार के अवसर
जम्मू के औद्योगिक क्षेत्र में बनने वाला यह बायो टेक पार्क स्थानीय युवाओं के लिए अनुसंधान आजीविका और रोज़गार के नए साधन उपलब्ध कराएगा. कोई भी किसान या कोई भी आंत्रप्रिन्यॉर यदि अपनी तरफ से इनोवटिव स्टार्टअप लगाना चाहेगा तो इंडस्ट्रियल बायो टेक पार्क उन्हें टैक्निकल जानकारी देगा और स्टार्टअप लगाने में उनकी मदद करेगा. यह भी पढ़े: पीएम मोदी पहुंचे लेह, घाटी के कायापलट के लिए करेंगे कई परियोजनाओं का शुभारंभ
2021 तक बनकर तैयार होगा पार्क
कठुआ के डिप्टी कमिश्नर ओम प्रकाश भगत बताते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर इंडस्ट्रियल बायो टेक पार्क के लिए दो प्रोजेक्ट मिले थे। एक कश्मीर के लिए और एक जम्मू के लिए। जम्मू का बायो टेक पार्क डिस्ट्रिक्ट कठुआ में बन रहा है और इसकी लागत करीब 42 करोड़ है। इसमें 500 और 1000 स्क्वायर फुट के 30 से 35 प्लाट देखे गए हैं. यह बायो टेक पार्क 31 मार्च 2021 तक बनकर तैयार हो जाएगा.
नॉर्थ इंडिया के पहले बायो टेक पार्क का काम नेशनल प्रोजेक्ट्स इंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन कर रहा है.खास बात यह है कि सीएसआईआर यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की निगरानी में इस पार्क को विकसित किया जाना है.
केंद्र सरकार उठा रही योजना का 90 फीसदी खर्च
इस योजना का 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठा रही है। मकसद साफ है कि पिछड़े इलाकों में रोज़गार और कारोबार की संभावना बढ़े. विज्ञान और शोध जैसे केंद्र जम्मू-कश्मीर में स्थापित होने से नई संभावनाओं में विस्तार मुमकिन हो पाएगा.
अब तक इस जगह का सर्वे जैसे सॉयल टेस्ट आदि प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जब यह पार्क बनकर तैयार होगा तो इसका सबसे ज्यादा फायदा किसानों को या उन युवाओं को होगा जो कृषि आधारित नए-नए उद्योग लगाना चाहते हैं। इस बायो टेक पार्क में औषधीय पौधों पर अनुसंधान होगा. कोरोना महामारी के समय में बायो टेक पार्क के महत्व को समझा जा सकता है.