बिहार: मुजफ्फरपुर में 'लीची' फिर बनी बच्चों के लिए काल, 5 दिन में छीनी 19 मासूमों की जिंदगियां
मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस का आतंक (Photo Credits: Pixabay)

पटना: बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में भीषण गर्मी के बीच एक बार फिर लीची से होने वाली संदिग्ध बीमारी इंसेफलाइटिस (एईएस) ने बच्चों को अपनी जद में लेना शुरू कर दिया है. हालत इतने बिगड़ गए है कि इसके कारण होने वाले तेज बुखार ने महज पांच दिनों में 19 मासूमों की जिंदगियां छीन ली है.

मिली जानकारी के मुताबिक संदिग्ध एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) की चपेट में आने से अब तक 19 बच्चो ने दम तोड़ दिया है. वहीं तीन दर्जन से ज्यादा इससे इससे पीड़ित बताए जा रहे है जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.

गौरतलब हो कि पिछले दो दशकों से यह बीमारी मुजफ्फरपुर सहित राज्य के कई इलाकों में होती है, जिसके कारण अब तक कई बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके हैं. परंतु अब तक सरकार इस बीमारी से लड़ने के कारगर उपाय नहीं ढूढ़ पाई है. कई चिकित्सक इस बीमारी को 'एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम' बताते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट की मानें तो अधपकी लीची एईएस का कारण हो सकता है. दरअसल लीची में पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का तत्व इस बुखार का कारण हो सकता है. खास बात यह है कि एईएस से होने वाला बुखार फैलने का दौर अमूमन मुजफ्फरपुर जिले में लीची के उत्पादन के मौसम में होता है.

इस बीमारी के शिकार आमतौर पर गरीब परिवारों के बच्चे होते हैं. 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, और मृतकों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है. एईएस से ग्रसित बच्चों को पहले तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होता है और फिर वे बेहोश हो जाते हैं.

पूर्व के वर्षो में दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों की टीम तथा पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी यहां इस बीमारी का अध्ययन कर चुकी है. हालांकि इस बुखारी के पीछे किसी प्रकार के संक्रमण की पुष्टी अब तक नहीं हो सकी है.